मेरे मकाँ तक आने वाले जिक्र
मेरे दिल में तुम उतरे थे कब
मुझे हैराँ नजरों से देखने वाले
मुझसे बातें भी करे थे कब
किसी मशग़ूलियत में नहीं है
इशारे इधर तुमने करे थे कब
वहम पाल कर रखा है तुमने
मेरे लबों से तुम बिछड़े थे कब
इस तरह है याद सबकुछ हमें
इश्क़े-इरादे हमने रखे थे कब
मेरे मकाँ तक आने वाले जिक्र
मेरे दिल में तुम उतरे थे कब।
नितेश वर्मा
मेरे दिल में तुम उतरे थे कब
मुझे हैराँ नजरों से देखने वाले
मुझसे बातें भी करे थे कब
किसी मशग़ूलियत में नहीं है
इशारे इधर तुमने करे थे कब
वहम पाल कर रखा है तुमने
मेरे लबों से तुम बिछड़े थे कब
इस तरह है याद सबकुछ हमें
इश्क़े-इरादे हमने रखे थे कब
मेरे मकाँ तक आने वाले जिक्र
मेरे दिल में तुम उतरे थे कब।
नितेश वर्मा
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