क्यूं तन्हाईयाँ सिर्फ इतना ही समझाती हैं
किसीका बेरूख होना ये बला ही बताती हैं
मांजती अपनी कुदरतों को वो परेशां सी हैं
ये लडकी की ज़िन्दगी कांच ही दुहराती हैं
नम आँखें, मतलबी ज़ुबां,और बेदर्द शमां
घर का वो कमरा,अभ्भी मुझे ही बुलाती हैं
मेरा ना होना, होनें से बेहतर कहाँ तक हैं
बात ये, माँ के पास में ही समझ आती हैं
चलो अब ये सफर खतम हुआ अए वर्मा
उसके आँखों में बसा शख्स ही दिखाती हैं
नितेश वर्मा
मांजती अपनी कुदरतों को वो परेशां सी हैं
ये लडकी की ज़िन्दगी कांच ही दुहराती हैं
नम आँखें, मतलबी ज़ुबां,और बेदर्द शमां
घर का वो कमरा,अभ्भी मुझे ही बुलाती हैं
मेरा ना होना, होनें से बेहतर कहाँ तक हैं
बात ये, माँ के पास में ही समझ आती हैं
चलो अब ये सफर खतम हुआ अए वर्मा
उसके आँखों में बसा शख्स ही दिखाती हैं
नितेश वर्मा