Tuesday, 14 April 2015

शैतानियाँ दुहरानें को आ

शैतानियाँ दुहरानें को आ
मुझे मुझसे मिलानें को आ
साँसें बिन तेरे तन्हा हैं
फिर से मुझे गले लगानें को आ

हर-वक्त ज़िंदा मुझमें तू हैं
किसी बहानें ये समझानें को आ
सफर में ऐसे ही कैसे चलेगा
दो कदम तो साथ निभानें को आ
मुझमें तस्वीर तेरा तस्व्वुर हैं
मेरे इन ख्वाब को सजानें को आ
आ फिर से सब ये दुहरानें को आ
फिर से मुझे गले लगानें को आ

थक चुका हूँ बहोत मैं यूं
निगाहों से ही कुछ पिलानें को आ
क्यूं कैसी और क्या हैं तेरी मजबूरी
कब तक रहूँ यूहीं यही बतानें को आ
कुछ और करीब आनें को आ
मेरें सीनें में अब समानें को आ

शैतानियाँ दुहरानें को आ
मुझे मुझसे मिलानें को आ

नितेश वर्मा

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