इस तरह और भी कुछ पूछना बाकी हैं
कब तक रहोगे दूर कितना रूठना बाकी हैं
तुम्हारें लबों की हसरत हैं बडी मुझमें
इस तरह और यूं कितना गुजरना बाकी हैं
हर आहट के पीछें तुम्हारी ही निशां हैं
इस तरह और ये कितना मचलना बाकी हैं
कोई साथी साथ हैं किस तरह मुझमें
इस तरह और जो कितना संभलना बाकी हैं
मिलता हैं जो कभी उम्मीद से ज्यादा
इस तरह और यूं कितना धडकना बाकी हैं
नितेश वर्मा
कब तक रहोगे दूर कितना रूठना बाकी हैं
तुम्हारें लबों की हसरत हैं बडी मुझमें
इस तरह और यूं कितना गुजरना बाकी हैं
हर आहट के पीछें तुम्हारी ही निशां हैं
इस तरह और ये कितना मचलना बाकी हैं
कोई साथी साथ हैं किस तरह मुझमें
इस तरह और जो कितना संभलना बाकी हैं
मिलता हैं जो कभी उम्मीद से ज्यादा
इस तरह और यूं कितना धडकना बाकी हैं
नितेश वर्मा
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