Thursday, 30 April 2015

कौन समझा के मना के लाएं उसको

कौन समझा के मना के लाएं उसको
सर ये बे-मतलब कौन चढाएं उसको

थक चुकी हैं आँखें यूहीं तरसतें प्यासें
हर वक्त कौन अब ये समझाएं उसको

इक ख्वाहिश थीं जो अब मरी सी हैं
थीं समुन्दर चाहत कौन बुझाएं उसको

लौट के फिर घर आनें को तैयार हैं
अब वो बात नहीं कौन दुहराएं उसको

नितेश वर्मा

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