दिल पे क्यूं हाथ रख दी उसनें
साँसों को हल्कें क्यूं दबा दिया
तो वो शक्स मुझसे अच्छा था
खामोश दिल जो यूं लूटा दिया
उसनें फिर से कोई शरारत की
सर पे जुनूं कहीं और चढा दिया
मैनें तो यूहीं खौफ बना रखा था
वर्मा खून तो उसने करा दिया
नितेश वर्मा
साँसों को हल्कें क्यूं दबा दिया
तो वो शक्स मुझसे अच्छा था
खामोश दिल जो यूं लूटा दिया
उसनें फिर से कोई शरारत की
सर पे जुनूं कहीं और चढा दिया
मैनें तो यूहीं खौफ बना रखा था
वर्मा खून तो उसने करा दिया
नितेश वर्मा
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