Wednesday, 29 April 2015

दिल पे क्यूं हाथ रख दी उसनें

दिल पे क्यूं हाथ रख दी उसनें
साँसों को हल्कें क्यूं दबा दिया

तो वो शक्स मुझसे अच्छा था
खामोश दिल जो यूं लूटा दिया

उसनें फिर से कोई शरारत की
सर पे जुनूं कहीं और चढा दिया

मैनें तो यूहीं खौफ बना रखा था
वर्मा खून तो उसने करा दिया

नितेश वर्मा

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