सुकून से लम्हा दो लम्हा गुजार लेते हैं
जो लोग अपनी गलतियाँ सुधार लेते हैं
उडतें हुएं यूं मकाम को हासिल करते हैं
जो लोग अपनी हथकडियाँ उतार लेते हैं
बडे बेचैंन से मन के बेमन से हुएं रहते हैं
जो लोग किसीकी ज़िंदगीयाँ उज़ाड लेते हैं
यूं तो नफरत का हिसाब-किताब करते हैं
जो लोग दो-एक पहेलियाँ यूं सवारं लेते हैं
नितेश वर्मा
जो लोग अपनी गलतियाँ सुधार लेते हैं
उडतें हुएं यूं मकाम को हासिल करते हैं
जो लोग अपनी हथकडियाँ उतार लेते हैं
बडे बेचैंन से मन के बेमन से हुएं रहते हैं
जो लोग किसीकी ज़िंदगीयाँ उज़ाड लेते हैं
यूं तो नफरत का हिसाब-किताब करते हैं
जो लोग दो-एक पहेलियाँ यूं सवारं लेते हैं
नितेश वर्मा
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