Wednesday, 5 November 2014

इश्क में ना-जानें हम क्या-क्या कर आएं हैं

सारें ही बहानें अब तक वर्मा मैनें अपनाएं हैं
इश्क में ना-जानें हम क्या-क्या कर आएं हैं

दिल अपना ही कहीं इन अंधेरों में पडा रहा था
और ना-जानें इल्ज़ाम किस-किस के सर कर आएं हैं

नितेश वर्मा

No comments:

Post a Comment