Nitesh Verma Poetry
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Sunday, 23 November 2014
कितनी रोई हैं ये आँखें की आईना भींग-सा गया हैं
कितनी रोई हैं ये आँखें की आईना भींग-सा गया हैं
रातें नमी लिये बैठी हैं और आँखें भींग-सा गया हैं
नितेश वर्मा
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