Sunday, 23 November 2014

..इक सियासत हैं..

..इक सियासत हैं कुछ तुममें कुछ मुझमें.. ..जहाँ कोई बात हैं वहाँ इक सियासत हैं.. ..हुई हैं गर रात तो सियासत हैं.. ..सबेरा के आगे इक सियासत हैं....धर्म हैं तो इक सियासत हैं..

..जहाँ अधर्म हैं वहाँ इक सियासत हैं.. ..प्यार हैं तो इक सियासत हैं.. ..फ़रेब में इक सियासत हैं.. ..हर बात में इक सियासत हैं.. ..हर आवाज़ में इक सियासत हैं..
..किताब में इक सियासत हैं.. ..इस आज़ में इक सियासत हैं.. ..उस बीतें कल में इक सियासत हैं..

..हर जगह,हर ओर,हर ज़ुबां पे इक सियासत हैं.. ..गर तुम हो तो सियासत हैं.. ..ना हो तो इक सियासत हैं..

..लिख रहें हो तो इक सियासत हैं.. ..पढ रहें हो तो इक सियासत हैं.. ..गर हिन्दुस्तान में हो तो इक सियासत हैं..

..इक सियासत हैं..

..नितेश वर्मा..

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