Wednesday, 5 November 2014

ना-जानें हैं किस बात पे ये रूका

..ना-जानें हैं किस बात पे ये रूका..
..ना-जानें किस बात को हैं ढूँढता..

..दिल मेरा अब मुझसे क्या कहता..
..अंदर जो खामोश सौ दर्द हैं सहता..

..तलाशूं जो वजहें तो तू हैं मिलता..
..बेकार की बातों से डर हैं लगता..

..नाराज़ तो सब यहाँ कौन डरता..
..कीमत की सज़ा मैं दूर ही रखता..

..नितेश वर्मा..

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