Monday, 24 November 2014

उन आँखों की कहती जुबानी को सुन लो

उन आँखों की कहती जुबानी को सुन लो
मुझसे मेरी बची इक कहानी को सुन लो

बातों से ना अब यह समुन्दर बाँधों तुम
मुझसे तो अपनी बेईमानी को सुन लो

उन सौ सवालों का जो इक जवाब हैं आया
मिला जो अब सुकूं उस सुहानी को सुन लो

मैं तो अपनें ही उन वादों में उल्झा रहा था
कहतें रहें जो सब उस दीवानी को सुन लो

नितेश वर्मा

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