यूं तो कमरें के हर कोनें से कई सुराग मिलें
जैसे बहती गंगा में जलतें कोई चराग़ मिलें
थोडा-सा बस निखर के आया था परिणाम
लोग जल्दबाज़ी में जाकर हराम को मिलें
यूं टूट के चाहतें रहें जिस छावं को ता-उम्र
वो नफ़रतों के हवालें से सब बेईमान मिलें
हमारा नाम भी आया था दिलों में होनें का
बिन मर्ज़ी कहीं और बसे तो इंतकाम मिलें
इस ज़ुर्म की गुनाह अब कहाँ तक जाऐगी
वर्मा जो तुम्हारें ही नाम से ये नाम मिलें
नितेश वर्मा
जैसे बहती गंगा में जलतें कोई चराग़ मिलें
थोडा-सा बस निखर के आया था परिणाम
लोग जल्दबाज़ी में जाकर हराम को मिलें
यूं टूट के चाहतें रहें जिस छावं को ता-उम्र
वो नफ़रतों के हवालें से सब बेईमान मिलें
हमारा नाम भी आया था दिलों में होनें का
बिन मर्ज़ी कहीं और बसे तो इंतकाम मिलें
इस ज़ुर्म की गुनाह अब कहाँ तक जाऐगी
वर्मा जो तुम्हारें ही नाम से ये नाम मिलें
नितेश वर्मा
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