Saturday, 28 September 2013

..हौसलों के आगे कुछ सुना हैं मैने जीत सा बनता हैं..

..हौसला हैं बुलंद आवाजें हैं ढीठ..
..रात के कोने में सुलगती ये गीत..
..पीठ-पीछे ये तेरा उठना हैं लाजिम..
..मेरी मुठ्ठी में बंद तेरे किस्मत की लाठी..
..कब सुबह का जगना हैं..
..कब रात का सोना..


..सो के नहीं हैं मुझे तुझे खोना..
..सपनें-रातों में तु आता नहीं..
..हाथों से छूट के भी तु मेरे जाता नहीं..
..शामों की संगीतों में..
..तु उठता कुछ धुन सा हैं..
..बादलों में जैसे शाम का कुहां बनता हैं..
..मेरे इरादों में तु कुछ ढीठ सा हैं..
..मेरी हिम्मत में तु मेरी कुछ वजूद सा हैं..
..राहें मेरे भले बेगानें हो तुझसे..
..हद-पार कर कर..
..ये चले है..
..तुझसे ही मिलाने मुझे..
..तु मेरा हैं मुझमें कुछ तेरा सा बनता हैं..
..हौसलों में तु मेरे कुछ हिम्मत सा बनता हैं..
..बंद मुठ्ठी में मेरे सपनें सा दिखता हैं..
..मेरी बातों में कहानी सा बनता हैं..
..कुछ अलग नइ रवानी सा बनता हैं..
..हौसलों के आगे कुछ सुना हैं मैने जीत सा बनता हैं..
..हौसलों में बुलंद आवाजें हो तो..
..कुछ गीत सा बनता हैं..
..देखा हैं मैने बंद मुठ्ठी के सामने..
..कुछ जीत सा बनता हैं..!

Wednesday, 25 September 2013

..यूँ टूट के तुमको चाहेंगें..

..यूँ टूट के तुमको चाहेंगें..
..सपनों के बहाने आके तेरे..
..दिल में बस जाऐगें..



..यूँ तुमेह खुद में ऐसे डूबोंऐगें..
..जुबा पे तेरे बस मेरे ही चचें रह जाऐगें..
..आँखों से होके दिल में ऐसे उतर जाऐगे..
..ख्वाबों के बहानें सपनों में..
..बस हम ही आऐगे..
..तेरी रूह में बस जाऐगे..
..काली रातों के बीच तुम्हें जगाऐगे..
..सीने में बसाऐगे लबों पे सजाऐंगे
..जां तुझे खुद में कैसे बसाऐगे..
..पन्नों पे ये जाँ हम कैसे सज़ाऐगे..
..यूँ टूट के बस तुमको चाहेंगे..
..सपनों में तेरे सिवा हम और क्या सज़ाऐगे..
..तेरी जुल्फें काली घटा हम नज़रों से अपनें कैसे हटाऐगे..
..जां तेरे सिवा हम किसको कैसे अपनाऐगे..
..रुठें रहेंगे ज़मानें से..
..और इकरार-ए-करार नाम तेरे करते जाऐगे..!

Monday, 23 September 2013

Nitesh Verma Poetry

..सौ बार ठिठक के कहे यें दिल मेरा..

Photo: ..सौ बार ठिठक के कहे यें दिल मेरा..
..इसे तुझे प्यार हैं..
..आँखों में मेरे तेरे सपनें हज़ार हैं..
..तुझे दिल में बसा लूं..
..होंठों पे सज़ा लूं आँखों से चुरा लूं..
..इकरारें ये मेरे सारे करार हैं..
..मागूँ तुझे मैं हर दुआओ में..
..हसरते खातिर तेरे मेरे हज़ार हैं..
..इशक मे तेरे डूबे रहने को..
..मन्नतें मेरे हज़ार हैं..
..संग तेरे रहने के बहाने..
..ढूंढें मैने हज़ार हैं.. 
..जुल्फें तेरे मेरे आशियां के बने रुखसार हैं..
..हैं कहना दिल को मेरे तुझसे..
..मागें तेरे खातिर मैनें खुशीयाँ हज़ार हैं..
..आजा इक बार..
..तु सीने से लग जा मेरे..
..तमन्ना ये मेरे दिल के ये हज़ार हैं..
..सौ बार ठिठक के कहे यें दिल मेरा..
..इसे तुझे प्यार हैं..
..लो लगा लो सीने से इसे..
..तुझे इसे इकरार-ए-प्यार हैं..!

..सौ बार ठिठक के कहे यें दिल मेरा..
..इसे तुझे प्यार हैं..
..आँखों में मेरे तेरे सपनें हज़ार हैं..
..तुझे दिल में बसा लूं..
..होंठों पे सज़ा लूं आँखों से चुरा लूं..
..इकरारें ये मेरे सारे करार हैं..
..मागूँ तुझे मैं हर दुआओ में..
..हसरते खातिर तेरे मेरे हज़ार हैं..
..इशक मे तेरे डूबे रहने को..
..मन्नतें मेरे हज़ार हैं..
..संग तेरे रहने के बहाने..
..ढूंढें मैने हज़ार हैं..
..जुल्फें तेरे मेरे आशियां के बने रुखसार हैं..
..हैं कहना दिल को मेरे तुझसे..
..मागें तेरे खातिर मैनें खुशीयाँ हज़ार हैं..
..आजा इक बार..
..तु सीने से लग जा मेरे..
..तमन्ना ये मेरे दिल के ये हज़ार हैं..
..सौ बार ठिठक के कहे यें दिल मेरा..
..इसे तुझे प्यार हैं..
..लो लगा लो सीने से इसे..
..तुझे इसे इकरार-ए-प्यार हैं..!

Download In Pdf Click Down..
सौ_बार_ठिठक_के_कहे_यें_दिल_मेरा.pdf

Sunday, 22 September 2013

..तुम आबाद हो गये और मैं बर्बाद..!

Photo: ..तुम क्या समझते हो..
..मै तुम्हारी तरह साज़िश नहीं कर सकता क्या वर्मा..?
..बस खुदा से ये फरियाद करते-करते..
..मेरे जैसा किसी के साथ ना हो..
..तुम आबाद हो गये और मैं बर्बाद..!
..तुम क्या समझते हो..
..मै तुम्हारी तरह साज़िश नहीं कर सकता क्या वर्मा..?
..बस खुदा से ये फरियाद करते-करते..
..मेरे जैसा किसी के साथ ना हो..
..तुम आबाद हो गये और मैं बर्बाद..!

..तन्हा रहा क्यूं मैं तेरी यादों में..

..तन्हा रहा क्यूं मैं तेरी यादों में..
..खोया रहा क्यूं मैं तेरी फरियादों में..
..सुना दिल की बात मैं क्यूं रहा गुमनामों में..
..हैं कोइ मेरा अब वजूद क्या..

Photo: ..तन्हा रहा क्यूं मैं तेरी यादों में..
..खोया रहा क्यूं मैं तेरी फरियादों में..
..सुना दिल की बात मैं क्यूं रहा गुमनामों में..
..हैं कोइ मेरा अब वजूद क्या..
..मैं क्यूं रहा नाम बनके अफसानों में..
..तन्हा सितारें अब कटते नहीं..
..हैंरानियां रात की अब हटती नहीं..
..बदलें बरसात की सावन अब घटा भी गरज़ती नहीं..
..क्या हुआ अब वक्त को ये भी बदलता नहीं..
..हुआ क्या सबेरा को रात के बाद अब आती क्यूं नहीं..
..मैं हैंरां क्यूं ना होउं..
..तन्हाइयों में ये आवज़ कैसी..
..तेरा ज़ब साथ नहीं तो फिर आवाज़ कैसी..
..हरकते कैसी मेरा लिखना कैसा तेरा समझना कैसा..
..मेरी बातें कैसी और कोइ यादें कैसी..
..ये तन्हा कैसा ये रातें कैसी..
..मैं क्यूं रहा नाम बनके अफसानों में..
..तन्हा सितारें अब कटते नहीं..
..हैंरानियां रात की अब हटती नहीं..
..बदलें बरसात की सावन अब घटा भी गरज़ती नहीं..
..क्या हुआ अब वक्त को ये भी बदलता नहीं..
..हुआ क्या सबेरा को रात के बाद अब आती क्यूं नहीं..
..मैं हैंरां क्यूं ना होउं..
..तन्हाइयों में ये आवज़ कैसी..
..तेरा ज़ब साथ नहीं तो फिर आवाज़ कैसी..
..हरकते कैसी मेरा लिखना कैसा तेरा समझना कैसा..
..मेरी बातें कैसी और कोइ यादें कैसी..
..ये तन्हा कैसा ये रातें कैसी..


Download In Pdf Click Down..

..ऐ वक्त हर वक्त बस तेरी ही बात हैं..

..गहरी खामोशियों का साथ हैं..
..ऐ वक्त हर वक्त बस तेरी ही बात हैं..
..क्यूँ खोउँ मैं तुझे..
..क्यूं तलाशूं कही और तुझे मैं..
..तु हर वक्त मेरे साथ हैं..
..मेरा तु वजूद हैं..
Photo: ..गहरी खामोशियों का साथ हैं..
..ऐ वक्त हर वक्त बस तेरी ही बात हैं..
..क्यूँ खोउँ मैं तुझे..
..क्यूं तलाशूं कही और तुझे मैं..
..तु हर वक्त मेरे साथ हैं..
..मेरा तु वजूद हैं..
..तु ही बता मैं क्या करूं..
..जिउँ तेरी खामोशियों को..
..या फिर करुँ अपनी मौत का इन्तेज़ार..
..तु हैं की मुझसे जुडता नहीं..
..कहीं वो ही जुड जाएं मेरे किसी बहाने से..
..यकीं मानो खामोशीयाँ मेरी अब मुझे सताती हैं..
..रैनों से कहानीयाँ कोइ बरसाती हैं..
..ओ तु वक्त हैं ना तु नहीं बदलेगा..
..फितरत अपनी छोडेगा नहीं ना..
..चलो ठीक हैं..!
..अए वक्त अब मैं बदलता हूँ..
..तेरे ही वक्त मे अब मौत चुनता हूँ..
..कह लेना जो कुछ कहना हो..
..गर तुमेह पीठ-पीछे मेरे..
..ज़िन्दगी यूं ही तन्हा बिताने का नाम नहीं होती..!

Download In Pdf Click Down..
http://uppit.com/7be83gmghnio/गहरी_खामोशियों_का_साथ_हैं.pdf
..तु ही बता मैं क्या करूं..
..जिउँ तेरी खामोशियों को..
..या फिर करुँ अपनी मौत का इन्तेज़ार..
..तु हैं की मुझसे जुडता नहीं..
..कहीं वो ही जुड जाएं मेरे किसी बहाने से..
..यकीं मानो खामोशीयाँ मेरी अब मुझे सताती हैं..
..रैनों से कहानीयाँ कोइ बरसाती हैं..
..ओ तु वक्त हैं ना तु नहीं बदलेगा..
..फितरत अपनी छोडेगा नहीं ना..
..चलो ठीक हैं..!
..अए वक्त अब मैं बदलता हूँ..
..तेरे ही वक्त मे अब मौत चुनता हूँ..
..कह लेना जो कुछ कहना हो..
..गर तुमेह पीठ-पीछे मेरे..
..ज़िन्दगी यूं ही तन्हा बिताने का नाम नहीं होती..!

Download In Pdf Click Down..
गहरी_खामोशियों_का_साथ_हैं.pdf

Saturday, 21 September 2013

..मेरी दिल पे लिख्खा हैं बस इक नाम तेरा..


..मेरी दिल पे लिख्खा हैं बस इक नाम तेरा..
..मेरी साँसों पे लिख्खा हैं इक बस नाम तेरा..
..मेरी नींदों के बीच हर इक ख्वाबों पे..
..लिख्खा है इक बस नाम तेरा..
..मेरी हर दुआ के पीछे लिख्खा हैं..
..इक बस नाम तेरा..
..मेरी मंगत मेरी हर गुहार में लिख्खा हैं..
..बस इक नाम तेरा..
..मेरी बातें तेरी जिक्र..
..मेरी यादों के बीच लिख्खा हैं बस इक नाम तेरा..
..समझ बातें मेरी मुहब्ब्त मेरी..
..हर बदनामी के पीछे ना लिख नाम मेरा..
..मेरी आशिकी मेरी अवारगी को चाहें तु जो नाम दे..
..इसे बस फरेबी गवारां मत समझना..
..क्यूँकि तेरी हर रात पे लिख्खा ह..
..बस इक नाम तेरा..
..आया हैं फरिश्तों का..
..इक बस यहीं ज़िन्दगी मे पैगाम मेरा..
..यकीं कर मेरे दिल पे लिख्खा हैं बस इक नाम तेरा..

..मौला कौन हूँ मैं..?

..मौला कौन हूँ मैं..?
..मेरा घर कहां..?
..अब तु बता छोड तुझे अब मैं जाउँ कहाँ..?
..मेरे सपनों में तु साथी हैं..
..ज़िन्दगी से हैरां अब मैं जाउँ कहाँ..?
..मौला तु बता मौला तु दिखा..
..रात का वो ढलता सबेरा कहाँ..?
..मैं जाउँ अब कैसे वहाँ..
..जहां तु सभी की सुनता सदा..

Photo: ..मौला कौन हूँ मैं..?
..मेरा घर कहां..?
..अब तु बता छोड तुझे अब मैं जाउँ कहाँ..?
..मेरे सपनों में तु साथी हैं..
..ज़िन्दगी से हैरां अब मैं जाउँ कहाँ..?
..मौला तु बता मौला तु दिखा..
..रात का वो ढलता सबेरा कहाँ..?
..मैं जाउँ अब कैसे वहाँ..
..जहां तु सभी की सुनता सदा..
..मैं हैरां हूँ अपने बात से बहकी हुइ अल्फाज़ से..
..मौला तु सुना मेरे घर का पता..
..मैं तुझसे हूँ तेरी बातोँ में..
..मैं रह गया तेरी यादों में..
..भूल अपनी घर का पता मैं रह गया समाज़ों में..
..भूल खुद का चेहरा सदा..
..मेरा कौन है तेरे सिवा मौला मेरा तु है इक सदा..
..मैं तुझसे हूँ अब जुडने लगा..
..तु बता मौला मेरे घर का पता..
..मौला मैं तो अब सोने चला..
..ढूंढ अपने घर पता..
..जो सूकुँ हैं मेरे घर के अन्दर..
..देख आया था वो बिता मैं तेरे मन्दर..
..हैं हकीकत में तेरा चेहरा यहाँ..
..ये घर ही हैं अब मेरा मन्दिर..!

..मैं हैरां हूँ अपने बात से बहकी हुइ अल्फाज़ से..
..मौला तु सुना मेरे घर का पता..
..मैं तुझसे हूँ तेरी बातोँ में..
..मैं रह गया तेरी यादों में..
..भूल अपनी घर का पता मैं रह गया समाज़ों में..
..भूल खुद का चेहरा सदा..
..मेरा कौन है तेरे सिवा मौला मेरा तु है इक सदा..
..मैं तुझसे हूँ अब जुडने लगा..
..तु बता मौला मेरे घर का पता..
..मौला मैं तो अब सोने चला..
..ढूंढ अपने घर पता..
..जो सूकुँ हैं मेरे घर के अन्दर..
..देख आया था वो बिता मैं तेरे मन्दर..
..हैं हकीकत में तेरा चेहरा यहाँ..
..ये घर ही हैं अब मेरा मन्दिर..!

Thursday, 19 September 2013

..तेरे साथ जीना अच्चा लगता हैं..!

..ऐ रात तु यूँ ही सदा बनी रह ज़िन्दगी मे मेरे..
..इन अन्धेरों मे जीना अच्छा लगता है..
..गहरी खामोशीयाँ.. बहती धीमी हवाएँ..
..धीमें-धीमें आँखों का लगना..
..और उस धीमी-धीमी बारिशों की रात में..


..सारी ख्वाहिशें मेरी मर जाती हैं धूल सी जाती हैं..
..मै फिर से जीनें को तैयार हो जाता हूँ..
..नइ बात के साथ नइ रात के साथ..
..अरमां फिर से जग जाते हैं मेरे..
..रातों की गहरी कौंध में हो जाती हैं..
..पहचान मेरे वजूद की..
..सारी बातें हो जाती हैं मेरी पूरी..
..फिर से रंग जाती हैं ज़िन्दगी मेरी..
..रात वो सारी राज़ें छुपा लेना चाहती हैं..
..चाहती हैं मुझे बनना खुद के काबिल..
..दिखाती हैं समझाती हैं सुनाती हैं..
..हर दांव-पेंच मुझे ये दुनियां-दारी के..
..मुहब्ब्त इतनी देखके जुड जाती हैं..
..खुद-ब-खुद हाथें मेरी नमाज़ों में..
..हाथों की लकीरों में फिर से तस्वीरें बन बैठी हैं तेरी..
..एक सुबह लिए मेरी..
..अए रात तु हैं बहोत वफादार जीना तो मुझे आता नहीं..
..बात-बात पे लेता हूँ कभी तेरा तो कभी खुद का सहारा..
..तु यूँ ही बनी रह हर-रोज़ ज़िन्दगी में मेरे..
..तेरे साथ जीना अच्चा लगता हैं..!

Download In Pdf Click Down..
ऐ_रात_तु_यूँ_ही_सदा_बनी_रह_ज़िन्दगी_मे_मेरे.pdf

Wednesday, 18 September 2013

..मन बांवराँ ये जान के भी तो मरे..!

..ओ रे साज़ना हैं तुझसे इसे कुछ कहना..
..बनके तेरा ही रहना या जीते-जी खुद मे मरना..
..सीनें से लगा ले इसे..
..नैंनों मे बसा ले इसे..
..दिल मे छुपा ले इसे..
..सुन ले तु कुछ इसके भी..
..सपनों से उतर के कभी..

..ज़िन्दगानी इसकी बन जा तु भी कभी..
..तुझ बिन यें उल्झा रहें खुद से ना जानें क्यूँ..
..सँवार के ये सपनें तेरे दौडा फिरे पीछे तेरे..
..तकता रहे राहें तेरे अब बिन मंज़िलों के बिन कसमों के..
..उल्झा रहे ये तेरे ही बातों मे..
..कहना ना मानें मेरा मेरी जबानों मे..
..होके अवारा ये चुरा के ये तुझसे ही नज़रें..
..देखा करे ये जी-भरे तुझे..
..मचलने लगे ये सीने मे बनके दो दिल..
..गुजरने लगे बिन तुम्हारें ये बस होके इक अधूरी सी ज़िन्दगी..
..लेने लगी अब ये साँसें जो ठहरी थी मेरी..
..आ तू ही बता दे इसे..
..तु नही किस्मत मे मेरे..
..कम से कम मन बांवराँ ये जान के भी तो मरे..!

Download In Pdf Click Down..
ओ_रे_साज़ना_हैं_तुझसे_इसे_कुछ_कहना.pdf

..हो गया यकीं इक मुझे मेरे होने पर..

..ज़िन्दगी हैं हैरां और बातें हैं परेशाँ..
..दिन हैं गुमशुदा और रातें हैं बेनाम..
..हालातें बनी हैं मेरी कुछ ऐसी..
..की जान के खुदा भी हैं अन्ज़ान..

..बस तरसती पत्तियाँ.. धीमी बहती हवाएँ..
..और सूनी राहों का मेरा सफ़र..
..यें ही हैं कुछ बने साथी मेरे..
..मंज़िलों पे हैं जो चले मिलाने मुझे..
..हो गया यकीं इक मुझे मेरे होने पर..
..इक तरफ तुम और तुम्हारी बातें..
..दूसरी तरफ मैं और मेरे अफसानें..!

Download This Poetry In Pdf Click Down..
ज़िन्दगी_हैं_हैरां_और_बातें_हैं_परेशाँ.pdf

Sunday, 15 September 2013

..कोइ क्या सुधारेगा देश को..

..कोइ क्या सुधारेगा देश को..
..खुद की जान जब सँभलती नहीं..
..कोइ क्या करेगा राजनीतिक दावा..
..जब सत्तें में कोइ उनका बाप नहीं..
..जब बिकाउ हो चली हैं सारी कायनात..

..तो फिर ये थानेदार और फ़ौज क्यूँ नहीं..
..लगता हैं बस बेबसी और गुस्से आलम..
..जब दिखाती हैं मिडीया सरहद पार खडे बेबस फ़ौजें हमारें..
..हैं  वहा कुछ क्या शायद मुझे पता नहीं..
..दुश्मन तो भरे हैं मन भर अन्दर ही अन्दर..
..इन्सानियत संग इमानों को भी हैं बेच चले ये सत्तों के ठेकेदार..
..सत्तें में हैं ये इतने उल्झे के उन्हें नहीं हैं खुद का कुछ होश..
..सरे-आम दलाली.. घुसखोरी..  बलत्कार.. हत्या जैसी कान्ड..
..इन्हें भला हैं क्यूँ नज़र नहीं आती..
..आँखों पे चढा ये खुद का इनका काला चश्मा..
..रंग बेरंग सा बनाता हैं..
..और मेरे लिखने से ये कुछ बदलेगा भी नहीं..
..ठीक तो अलग सहीं से कानों में जूँ की तरह रेंगेंगा भी नहीँ..
..करनी हैं देश-सेवा सुधारनी हैं सत्ता..
..करना हैं कुछ काम तो बंद करो यूं दूर से ही कुछ करना बकवास..
..खुली हैं सत्ता आओ कर लो पुरा अपना काम..
..हो सके तो आओ बढाओ देश का कुछ मान..
..नहीं तो बस यूँ ही खामोश रहों..
..आवाजें ना यूं पीठ पीछे उडाओ..
मैने देखा हैं कोशिशों की जीत होती हैं लिखने वालों की हार..!

Download In Pdf Click Down..
कोइ_क्या_सुधारेगा_देश_को.pdf

..तेरे लबों पे मेरा ज़िकर अभ्भी बाकी हैं..


..तेरे लबों पे मेरा ज़िकर अभ्भी बाकी हैं..
..तेरे आँखों में मेरा वजूद अभ्भी बाकी हैं..
..तेरे हाथों की मेहन्दी में मेरा नाम अभ्भी बाकी हैं..
..ठहर मेरे सपनों में तु अभी मेरी एक रात बाकी हैं..
..तेरे होने की.. तेरी खोने की.. बातें मुझे अभी सताती हैं..
..तु जो करता हैं बातें ऐसी..
..मेरी आँखों में इक ख्वाबें..ए..शर्म चढाती हैं..
..गुज़रती हैं  ज़िन्दगी मेरे सपनों में खोके तेरे..
..तेरे हिस्सें में मेरा नाम अभ्भी बाकी हैं..
..तेरे होने पे मेरा हिस्सा अभी कुछ बाकी हैं..
..कुछ लम्हा मेरा और बाकी हैं..
..तुझे पता नहीं या शायद तु मेरी बातों का मोहताज़ नहीं..
..कर यकीं मेरा..
..तेरे लबों पे मेरा नाम अभ्भी बाकी हैं..
..ठहर मेरे सपनों में तु अभी मेरी इक रात अभ्भी बाकी हैं..!

Download In Pdf Click Down..
तेरे_लबों_पे_मेरा_ज़िकर_अभ्भी_बाकी_हैं.pdf

Friday, 13 September 2013

..बच्चें सो जाएँगे यूँ ही भूखे..

Photo: ..आज़ फिर उसके बच्चें सो जाएँगे यूँ ही भूखे..
..आज़ फिर उसके हाथों में भरी बन्दूक देखी है मैनें ..!
..आज़ फिर उसके बच्चें सो जाएँगे यूँ ही भूखे..
..आज़ फिर उसके हाथों में भरी बन्दूक देखी है मैनें ..!

..सुनूगां तो फिर तडप उठूंगा..


..बस करो अपने सीने मे ही दबाएं रख्खों बातें फरेबी..
..सुनूगां तो फिर तडप उठूंगा..!

..ये बहती हवाएँ..


..ये बहती हवाएँ दिल को सुनाएँ..
..याद दिलाएं ज़िया धडकाएं..
..बहती हवाएं.. ये बहती हवाएँ..
..कभी तेरी ये जुल्फें संवारे..
..याद बनके पुकारे..
..ढूँढें तुझे यूं ही कही मुझमें..
..अपनी सरगम सजाएं मेरी होंठों से बजाएँ..
..तेरी याद दिलाएँ तन्हा रात जगाएँ..
..आशिकी मेरी बढाएँ..
..ये बहती हवाएँ.. ये बहती हवाएँ..
..शाम-सबेरें रातें-दुपहरी तेरा ही बस अक्स आये नज़र..
..बातें तेरी बनके यादें मेरी..
..खुशनुमां सपने मेरे दिल पे संजोएँ..
..ये बहती हवाएँ तेरी जुल्फें बहकाएं..
..तुझे जान ये मेरे पास बुलाएँ..
..करती ये कोशिशें पिया संग मिलाएँ..
..नैना सजाएँ मेरी आशियां बनाएँ..
..हां ये बहती हवाएं.. बहती हवाएँ..!

यें मेरी ज़िन्दगी..

Photo: कैसी हो चली हैं यें मेरी ज़िन्दगी.. 
..सिर्फ यादों मे ही गुज़रती जा रही हैं..!
कैसी हो चली हैं यें मेरी ज़िन्दगी.. 
..सिर्फ यादों मे ही गुज़रती जा रही हैं..!

Wednesday, 11 September 2013

..हारा मैं हारा दिल तुझपे मैं हारा..


..हारा मैं हारा दिल तुझपे मैं हारा..
..ओ यारा मेरे यारा दिल तुझपे मैं हारा..
..बनके दीवाना मैं होके अवारा मैं..
..ढूँढू तुझे अब मैं शामों-शहर..
..करु जो बातें मैं या फरियादें मै..
..नाम तुम्हारा बस आये नजर..
..तन्हा जो बैठूँ मैं सपने जो संजोउ मैं..
..जिक्र तेरा यूँ ही कर जाएँ खामोश लब मेरे..
..मांगू मैं हरदम देखु मैं हर लम्हा..
..तुझे अपने ख्वाबों मे अब..
..डूबे आँखें मेरी तेरी इनायत मे..
..कर लू तुझे मैं अपनी साँसों में..
..हारा मैं हारा दिल तुझपे मैं हारा..
..ओ यारा मेरे यारा दिल तुझपे मैं हारा..
..तु मुझमे मैं तुझमे रहे यूं ही गुमशुदा..
..बातें हालातें मेरी रातें गुजारी संग तेरे..
..आएँ बिन तेरे ना कुछ भी नज़र..
..जुल्फें संवारु मैं लबो को संजाउ मैं..
..हैराँ कर तुझे गले लग जाउँ मैं..
..तेरा अक्स ही वजूद मेरा..
..तेरा एहसास ही नसीब मेरा..
..तेरी धडकन मेरी सांसों हैं जुडी..
..तेरा मुझमे हैं खोना मेरा रब का हैं होना..
..और रातें संजोना सारी बातें मेरी तुझसे है ये सारे जहाँ से कहना..
..तु है इक बस मेरा मेरा खुद से है ये कहना..
..हारा मैं हारा दिल तुझपे मैं हारा..
..ओ यारा मेरे यारा दिल तुझपे मैं हारा..!

Tuesday, 10 September 2013

..सावरियाँ आना हैं तेरी गली अब दिन-दुपहरियाँ..

Photo: ..सावरियाँ आना हैं तेरी गली अब दिन-दुपहरियाँ..
..सावरियां खोना हैं भरी रैन अब सारी रात पहरियाँ..
..सावरियां होना हैं तेरी नींद अब मुझे आठों पहरियाँ..
..सावरियाँ आना हैं तेरी गली अब क्या रात..? क्या दिन..?
आठों पहरियाँ.. सावरियाँ..!
..हैं क्या वो बात या तेरी याद बांधे हैं मुझे..
..मेरी नज़रों से होंठों को तेरे.. सावरियाँ..
..पलके तेरे गिरे अरमां मेरे जां कितने बिखरे..
..दानें-ख्वाबों के कौन कबूतरों की तरह चुने..
..सारी रश्में फिर कौन झूठी वादों संग बुने..
..सावरियाँ रहना हैं क्या अब दूर मुझसे..
..दिन-रात संग क्या आठों पहरियां.. सावरियाँ..
..कितनी फरेबियत है आडे भोली चेहरे के सहारे..
..नैनों में सुरमां लगे तो फिर कोइ क्यूँ आंसू ना बहे..
..होंठों से छ्ल्के-छ्ल्के जाम आंखों में जगती सी प्यास..
..सावरियाँ जगे रहना हैं ख्बाबों विच तेरे याद..
..जैसे रात अंधेरे विरान हुआ संसार..
..सावरियाँ ना आना हैं अब तेरी गली अब आया समझ..
..क्यूं हैं रात ये अंधेरी मेरी तुझसे इतनी दूर खडी सावरियाँ..!
..सावरियाँ आना हैं तेरी गली अब दिन-दुपहरियाँ..
..सावरियां खोना हैं भरी रैन अब सारी रात पहरियाँ..
..सावरियां होना हैं तेरी नींद अब मुझे आठों पहरियाँ..
..सावरियाँ आना हैं तेरी गली अब क्या रात..? क्या दिन..?
आठों पहरियाँ.. सावरियाँ..!
..हैं क्या वो बात या तेरी याद बांधे हैं मुझे..
..मेरी नज़रों से होंठों को तेरे.. सावरियाँ..
..पलके तेरे गिरे अरमां मेरे जां कितने बिखरे..
..दानें-ख्वाबों के कौन कबूतरों की तरह चुने..
..सारी रश्में फिर कौन झूठी वादों संग बुने..
..सावरियाँ रहना हैं क्या अब दूर मुझसे..
..दिन-रात संग क्या आठों पहरियां.. सावरियाँ..
..कितनी फरेबियत है आडे भोली चेहरे के सहारे..
..नैनों में सुरमां लगे तो फिर कोइ क्यूँ आंसू ना बहे..
..होंठों से छ्ल्के-छ्ल्के जाम आंखों में जगती सी प्यास..
..सावरियाँ जगे रहना हैं ख्बाबों विच तेरे याद..
..जैसे रात अंधेरे विरान हुआ संसार..
..सावरियाँ ना आना हैं अब तेरी गली अब आया समझ..
..क्यूं हैं रात ये अंधेरी मेरी तुझसे इतनी दूर खडी सावरियाँ..!


Download Poetry In Pdf Click Down..

सावरियाँ_आना_हैं_तेरी_गली_अब_दिन.pdf

..दौड हैं जीत का ज़श्न का मीत का..

Photo: ..दौड हैं जीत का ज़श्न का मीत का..
..दौड हैं दिल का फरेब का झूठ का..
..दौड हैं पैसों का खून का मौत का..
..दौड है मेरा मेरे दिल का जुनूं का..
..दौड है.. जीत हैं.. हार हैं.. प्यार हैं..
..पैसों के पीछे हैं प्यार के पीछे हैं..
..राजनीति मे सबसे आगे ये दौड हैं.. ये दौड है..!
..खेल रहा जानों से मानों के अभिमानों से..
..बेसबक दौड रहा इंसान भूल अपने इमानों को..
..दौड हैं.. खून का.. फरेब का.. इश्क का.. रोग का..
..ये दौड है चाहें जो भी हो..
..मेरा दौड हैं जीत का जश्न का मीत का..!

..दौड हैं जीत का ज़श्न का मीत का..
..दौड हैं दिल का फरेब का झूठ का..
..दौड हैं पैसों का खून का मौत का..
..दौड है मेरा मेरे दिल का जुनूं का..
..दौड है.. जीत हैं.. हार हैं.. प्यार हैं..
..पैसों के पीछे हैं प्यार के पीछे हैं..
..राजनीति मे सबसे आगे ये दौड हैं.. ये दौड है..!
..खेल रहा जानों से मानों के अभिमानों से..
..बेसबक दौड रहा इंसान भूल अपने इमानों को..
..दौड हैं.. खून का.. फरेब का.. इश्क का.. रोग का..
..ये दौड है चाहें जो भी हो..
..मेरा दौड हैं जीत का जश्न का मीत का..!

Download In Pdf Click Down..
दौड_हैं_जीत_का_ज़श्न_का_मीत_का.pdf

Monday, 9 September 2013

..कविता उठाइ और कहानी लिख दिया..

Photo: ..बातों में तुमने ये क्या लिख दिया..
..कविता उठाइ और कहानी लिख दिया..
..क्या बात हैं तुम्हारी हाथों में.. तुम्हारी यादों में..
..कलम उठाइ और ये क्या जुबानी लिख दिया..
..हैं महसूस करने वाली बातें किताबों पे कैसे संजो दिया..
..रंगी हैं शमां रात की तुमने ख्वाबों में ये कैसे सज़ा दिया..
..बात उठाइ सत्ता की और ये मुहब्बत कैसे लिख दिया..
..कितनी सरलता से तुमने हार को जीत में.. सोच को गीत में..
..हबीब को रकीब में.. कैसे बदल दिया..
..क्या बात है तुमने बातों में ये क्या लि्ख दिया..
..कलम उठाइ और कहानी मे कानूनी लिख दिया..
..राजनीति उठाइ और भ्रष्टाचार, अपराध और सारी झूठी रवानी लिख दिया..
..अमीरों की आड में तुमने गरीबी कैसे छुपा दिया..
..बलात्कार की आड मे लडकियाँ कैसे समाज़ से चुरा दिया..
..कलम उठाइ और वाह..! क्या बात..?अपनी हलातों को लिख दिया..
..सारी समाजी बकवासों को लिख दिया..
..लो बातों-बातों में तुमने ये क्या लिख दिया..
..कलम उठाइ और कविता में आज़ का आइना दिखा दिया..!

..बातों में तुमने ये क्या लिख दिया..
..कविता उठाइ और कहानी लिख दिया..
..क्या बात हैं तुम्हारी हाथों में.. तुम्हारी यादों में..
..कलम उठाइ और ये क्या जुबानी लिख दिया..
..हैं महसूस करने वाली बातें किताबों पे कैसे संजो दिया..
..रंगी हैं शमां रात की तुमने ख्वाबों में ये कैसे सज़ा दिया..
..बात उठाइ सत्ता की और ये मुहब्बत कैसे लिख दिया..
..कितनी सरलता से तुमने हार को जीत में.. सोच को गीत में..
..हबीब को रकीब में.. कैसे बदल दिया..
..क्या बात है तुमने बातों में ये क्या लि्ख दिया..
..कलम उठाइ और कहानी मे कानूनी लिख दिया..
..राजनीति उठाइ और भ्रष्टाचार, अपराध और सारी झूठी रवानी लिख दिया..
..अमीरों की आड में तुमने गरीबी कैसे छुपा दिया..
..बलात्कार की आड मे लडकियाँ कैसे समाज़ से चुरा दिया..
..कलम उठाइ और वाह..! क्या बात..?अपनी हलातों को लिख दिया..
..सारी समाजी बकवासों को लिख दिया..
..लो बातों-बातों में तुमने ये क्या लिख दिया..
..कलम उठाइ और कविता में आज़ का आइना लिख दिया..!

Download Poetry In Pdf Click Down..
बातों_में_तुमने_ये_क्या_लिख_दिया.pdf

Friday, 6 September 2013

..अए सनम ज़रा ठहर के जा..

Photo: ..अए सनम ज़रा ठहर के जा..
..साँसों में जाँ अभ्भी थोडी बाकी हैं..
..अए सनम यूँ नज़रें ना हटा..
..होंठों पे नांम अभ्भी थोडी बाकी हैं..
..करु मैं इबादत शामों में..
..तु ठहर के जा रात अभ्भी थोडी बाकी हैं..
..अए सनम तेरे इरादों में..
..छल्के नैनों के जाम अभ्भी थोडी बाकी हैं..
..इक शमां संग मेरे सज़ा के जा..
..कहानी मे थोडी जां अभ्भी बाकी हैं..
..अए सनम मुझे खुद में सजा के जा..
..धडकनों में अभ्भी तु कुछ बाकी हैं..
..अय ज़िंदगी! ज़रा ठहर के जा..
..कोइ मुझमें अभ्भी थोडी बाकी हैं..
..इक घडी ठहर के जा सनम..
..के मौत में रातें अभ्भी बाकी हैं..!

Download In Pdf Click Down..

http://uppit.com/29ojs4jr61i2/..अए_सनम_ज़रा_ठहर_के_जा...pdf
..अए सनम ज़रा ठहर के जा..
..साँसों में जाँ अभ्भी थोडी बाकी हैं..
..अए सनम यूँ नज़रें ना हटा..
..होंठों पे नांम अभ्भी थोडी बाकी हैं..
..करु मैं इबादत शामों में..
..तु ठहर के जा रात अभ्भी थोडी बाकी हैं..
..अए सनम तेरे इरादों में..
..छल्के नैनों के जाम अभ्भी थोडी बाकी हैं..
..इक शमां संग मेरे सज़ा के जा..
..कहानी मे थोडी जां अभ्भी बाकी हैं..
..अए सनम मुझे खुद में सजा के जा..
..धडकनों में अभ्भी तु कुछ बाकी हैं..
..अय ज़िंदगी! ज़रा ठहर के जा..
..कोइ मुझमें अभ्भी थोडी बाकी हैं..
..इक घडी ठहर के जा सनम..
..के मौत में रातें अभ्भी बाकी हैं..!

Download In Pdf Click Down..

..अए_सनम_ज़रा_ठहर_के_जा...pdf

Sunday, 1 September 2013

..हर बात होंठों की मोहताज़ नहीं..

Photo: ..क्या बताउं तुमेह मैं अपनी दिल की बात..
..हर बात होंठों की मोहताज़ नहीं..
..तुम हो समझे कब बातें मेरी..
..जो अभी खातिर तेरे मैं खुद से लड़ जाउँ अभी..
..आँखों के इशारें जुबां पे हैं मेरे बसे..
..हो इतने करीब तो मुझे इन्हें समझाओ ना..
..हैरतें और नशा हैं भरा आँखों में तेरे..
..इन्हें कभी जुबां से अपने बरसाओ ना..
..है ये रात मदहोस तुझमें मेरे होने का इसे एहसास दिलाओ ना..
..तुम हो मेरे मुझे मुझसे मेरे वजूदों को मिलाओ ना..
..सब रंगीन ये शमाँ तुझमें रंगी..
..मेरी मैली चादर को सजाओ ना..
..तुम खुद से कभी मेरी मेहफिल सजाओ ना..
..मुझे दिल मे अपने कभी यूं ही बसाओ ना..!
Special Thanxxx To...
https://www.facebook.com/MRINALTHEROCKSTAR786?fref=ts
..क्या बताउं तुमेह मैं अपनी दिल की बात..
..हर बात होंठों की मोहताज़ नहीं..
..तुम हो समझे कब बातें मेरी..
..जो अभी खातिर तेरे मैं खुद से लड़ जाउँ अभी..
..आँखों के इशारें जुबां पे हैं मेरे बसे..
..हो इतने करीब तो मुझे इन्हें समझाओ ना..
..हैरतें और नशा हैं भरा आँखों में तेरे..
..इन्हें कभी जुबां से अपने बरसाओ ना..
..है ये रात मदहोस तुझमें मेरे होने का इसे एहसास दिलाओ ना..
..तुम हो मेरे मुझे मुझसे मेरे वजूदों को मिलाओ ना..
..सब रंगीन ये शमाँ तुझमें रंगी..
..मेरी मैली चादर को सजाओ ना..
..तुम खुद से कभी मेरी मेहफिल सजाओ ना..
..मुझे दिल मे अपने कभी यूं ही बसाओ ना..!


Download In Pdf Click Down

..हर_बात_होंठों_की_मोहताज़_नहीं...pdf