Wednesday, 25 September 2013

..यूँ टूट के तुमको चाहेंगें..

..यूँ टूट के तुमको चाहेंगें..
..सपनों के बहाने आके तेरे..
..दिल में बस जाऐगें..



..यूँ तुमेह खुद में ऐसे डूबोंऐगें..
..जुबा पे तेरे बस मेरे ही चचें रह जाऐगें..
..आँखों से होके दिल में ऐसे उतर जाऐगे..
..ख्वाबों के बहानें सपनों में..
..बस हम ही आऐगे..
..तेरी रूह में बस जाऐगे..
..काली रातों के बीच तुम्हें जगाऐगे..
..सीने में बसाऐगे लबों पे सजाऐंगे
..जां तुझे खुद में कैसे बसाऐगे..
..पन्नों पे ये जाँ हम कैसे सज़ाऐगे..
..यूँ टूट के बस तुमको चाहेंगे..
..सपनों में तेरे सिवा हम और क्या सज़ाऐगे..
..तेरी जुल्फें काली घटा हम नज़रों से अपनें कैसे हटाऐगे..
..जां तेरे सिवा हम किसको कैसे अपनाऐगे..
..रुठें रहेंगे ज़मानें से..
..और इकरार-ए-करार नाम तेरे करते जाऐगे..!

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