Sunday, 15 September 2013

..तेरे लबों पे मेरा ज़िकर अभ्भी बाकी हैं..


..तेरे लबों पे मेरा ज़िकर अभ्भी बाकी हैं..
..तेरे आँखों में मेरा वजूद अभ्भी बाकी हैं..
..तेरे हाथों की मेहन्दी में मेरा नाम अभ्भी बाकी हैं..
..ठहर मेरे सपनों में तु अभी मेरी एक रात बाकी हैं..
..तेरे होने की.. तेरी खोने की.. बातें मुझे अभी सताती हैं..
..तु जो करता हैं बातें ऐसी..
..मेरी आँखों में इक ख्वाबें..ए..शर्म चढाती हैं..
..गुज़रती हैं  ज़िन्दगी मेरे सपनों में खोके तेरे..
..तेरे हिस्सें में मेरा नाम अभ्भी बाकी हैं..
..तेरे होने पे मेरा हिस्सा अभी कुछ बाकी हैं..
..कुछ लम्हा मेरा और बाकी हैं..
..तुझे पता नहीं या शायद तु मेरी बातों का मोहताज़ नहीं..
..कर यकीं मेरा..
..तेरे लबों पे मेरा नाम अभ्भी बाकी हैं..
..ठहर मेरे सपनों में तु अभी मेरी इक रात अभ्भी बाकी हैं..!

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तेरे_लबों_पे_मेरा_ज़िकर_अभ्भी_बाकी_हैं.pdf

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