..बातों में तुमने ये क्या लिख दिया..
..कविता उठाइ और कहानी लिख दिया..
..क्या बात हैं तुम्हारी हाथों में.. तुम्हारी यादों में..
..कलम उठाइ और ये क्या जुबानी लिख दिया..
..हैं महसूस करने वाली बातें किताबों पे कैसे संजो दिया..
..रंगी हैं शमां रात की तुमने ख्वाबों में ये कैसे सज़ा दिया..
..बात उठाइ सत्ता की और ये मुहब्बत कैसे लिख दिया..
..कितनी सरलता से तुमने हार को जीत में.. सोच को गीत में..
..हबीब को रकीब में.. कैसे बदल दिया..
..क्या बात है तुमने बातों में ये क्या लि्ख दिया..
..कलम उठाइ और कहानी मे कानूनी लिख दिया..
..राजनीति उठाइ और भ्रष्टाचार, अपराध और सारी झूठी रवानी लिख दिया..
..अमीरों की आड में तुमने गरीबी कैसे छुपा दिया..
..बलात्कार की आड मे लडकियाँ कैसे समाज़ से चुरा दिया..
..कलम उठाइ और वाह..! क्या बात..?अपनी हलातों को लिख दिया..
..सारी समाजी बकवासों को लिख दिया..
..लो बातों-बातों में तुमने ये क्या लिख दिया..
..कलम उठाइ और कविता में आज़ का आइना लिख दिया..!
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बातों_में_तुमने_ये_क्या_लिख_दिया.pdf
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