Monday, 26 August 2013

..मेरे लिख्खे पन्नें कभी ये खामोश नहीं..

Photo: ..तेरे बातें.. ..तेरे वादें.. ..तेरे ये सारे फरेब..
..तेरे पैरों के आगे जलती ये समाजी बकैत..
..तु हरामी हैं फिर भी शाला कितना शातिर..
..तु कमीना हैं फिर भी कितनी शान से है जीता..
..ये हैं राजनीती कमीनों की सत्ता..
..यहां कौन हैं किसका पीता..
..खुद ठेकेदारों को भी नहीं हैं कुछ पता..
..ये सारी बातें समाजों की आड में..
..और ये समाज जाएँ भाड में..
..मैं अकेला ही सहीं हूं तेरे भीड से दूर..
..फिर भी तु क्यूँ हैं मेरे पिछे पडा..
..आखिर रख्खा क्या हैं नोटों के जालों मे..
..गरीबों के पसीनों मे..
..क्यूं है आखिर ऐसी नीति तेरी मेरे दुनियां पे क्यूं रख्खी है नज़रे तेरी..
..इन बातों का कोइ बात नहीं कोइ मतलब नहीं.
..राजनीति मुद्दा है ये आम बात नहीं..
..मसलें कभी ये बेनज़र नहीं चुप्पी बस होंठों तक का ही हैं..
..मेरे लिख्खे पन्नें कभी ये खामोश नहीं..
..नज़रें तेरे भले मुझसे बेनज़र हो दामन कहा तक छुटा पाओगे साँसें कहा तक छुडा पाओगे..!

..तेरे बातें.. ..तेरे वादें.. ..तेरे ये सारे फरेब..
..तेरे पैरों के आगे जलती ये समाजी बकैत..
..तु हरामी हैं फिर भी शाला कितना शातिर..
..तु कमीना हैं फिर भी कितनी शान से है जीता..
..ये हैं राजनीती कमीनों की सत्ता..
..यहां कौन हैं किसका पीता..
..खुद ठेकेदारों को भी नहीं हैं कुछ पता..
..ये सारी बातें समाजों की आड में..
..और ये समाज जाएँ भाड में..
..मैं अकेला ही सहीं हूं तेरे भीड से दूर..
..फिर भी तु क्यूँ हैं मेरे पिछे पडा..
..आखिर रख्खा क्या हैं नोटों के जालों मे..
..गरीबों के पसीनों मे..
..क्यूं है आखिर ऐसी नीति तेरी मेरे दुनियां पे क्यूं रख्खी है नज़रे तेरी..
..इन बातों का कोइ बात नहीं कोइ मतलब नहीं..
..राजनीति मुद्दा है ये आम बात नहीं..
..मसलें कभी ये बेनज़र नहीं चुप्पी बस होंठों तक का ही हैं..
..मेरे लिख्खे पन्नें कभी ये खामोश नहीं..
..नज़रें तेरे भले मुझसे बेनज़र हो..

..दामन कहा तक छुटा पाओगे..
..साँसें कहा तक छुडा पाओगे..!

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Friday, 23 August 2013

..हैं ये शाम कहीं मदहोस तेरे में..


..हैं ये शाम कहीं मदहोस तेरे में..
..मेरे होने का इसे एहसास नहीं..
..हैं ये बात कहीं अधूरी..
..इसे पूरा करने का कोइ बात ही नहीं..
..यूँ ही गुज़रना वक्त़ का और मेरा तेरे मे डूबे रहना..
..तेरे संग रातें तकना और ख्यालों मे तुझे अपना करना..
..यूं ही गुज़रना ज़िन्दगी का और मेरा खुद में डूबे रहना..
..संग तेरे ज़िन्दगी ज़ीना और संग तेरे होना..
..बस यहीं हैं कुछ बातें मेरी तेरी होंठों पे संजोना तेरे..
..तेरा ही बनके रहना..
..तेरे लबों पे ही बसे रहना..
..संग होना.. ..तेरे खुद को तेरे ही रंग रंगना..
..यहीं बस कुछ हैं ज़िन्दगी की तम्मनाएँ मेरी..
..तेरा हूँ और बस तेरा हो के ही रहना..
..और क्या ये शाम मेरी इतनी भी वफाई नहीं..
..जो मुझे भूल खुद बिछ्डन कर मिल जाए जा रकीब अपने रात से..!


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Thursday, 22 August 2013

..मैं हीरा हूँ साफ़ करके लाया..

Photo: ..अभी तक मैनें हैं ये बनाया तुझे अपने दिल मे हैं बसाया..
..मैं हीरा हूँ साफ़ करके लाया अब आगे है तुमेह इसे हाथो की मेरी अँगूठी बनाना..

..मैनें है मन्नत में जन्नत माँगें तुमेह साँसों में है पिरोएं.. 
..अपना तुझे है बनाया मैनें..
..अन्धेरी रातों का सितारा बनाया है मैनें..
..तुमको खुद के वजूदो से है सवारा मैनें..
..ख्वाबो मे है संजोयाँ मैनें..

..ये लो संभालो दिल को मेरे ये नाम तेरे करके आया हूँ मै..
..हैं ये तुम्हारा था कहां मुझे ये पता..
..मै हूँ तुम्हारा ये ख्वाब मुझे आया था कहां..
..इज़हार ए मुहब्ब्त लिख के आया हूँ मै..
..दिल के दरवाजों पे देख मैं नाम तिहारे करके आया हूँ..

..है क्या हसरतें मेरी मैनें खुद को कैसे ये समझाया है..
..तुम्हारे हाथों की लकीरों मे मैने खुद को कैसे बुनाया हैं.. 
..ज़िन्दगी की ये बात आज़ मै खुद अपनी मौत से कैसे कर आया हूँ..
..तुमको है मैने संजोया ये आज़ खुद मै कहने आया हूँ..
..आज़ रात अन्धरी काली है बात मेरी तेरी सबसे निराली हैं..
 
..है वो क्या मुझे आज़ ये तुमसे कहना हैं..
..खवाबों की रात ये राज़ मुझे तुमसे कहना है..
..होना है तेरा रकीब या संग तेरे मरना हैं..!
..अभी तक मैनें हैं ये बनाया तुझे अपने दिल मे हैं बसाया..
..मैं हीरा हूँ साफ़ करके लाया अब आगे है तुमेह इसे हाथो की मेरी अँगूठी बनाना..

..मैनें है मन्नत में जन्नत माँगें तुमेह साँसों में है पिरोएं.. 
..अपना तुझे है बनाया मैनें..
..अन्धेरी रातों का सितारा बनाया है मैनें..
..तुमको खुद के वजूदो से है सवारा मैनें..
..ख्वाबो मे है संजोयाँ मैनें..

..ये लो संभालो दिल को मेरे ये नाम तेरे करके आया हूँ मै..
..हैं ये तुम्हारा था कहां मुझे ये पता..
..मै हूँ तुम्हारा ये ख्वाब मुझे आया था कहां..
..इज़हार ए मुहब्ब्त लिख के आया हूँ मै..
..दिल के दरवाजों पे देख मैं नाम तिहारे करके आया हूँ..

..है क्या हसरतें मेरी मैनें खुद को कैसे ये समझाया है..
..तुम्हारे हाथों की लकीरों मे मैने खुद को कैसे बुनाया हैं..
..ज़िन्दगी की ये बात आज़ मै खुद अपनी मौत से कैसे कर आया हूँ..
..तुमको है मैने संजोया ये आज़ खुद मै कहने आया हूँ..
..आज़ रात अन्धरी काली है बात मेरी तेरी सबसे निराली हैं..

..है वो क्या मुझे आज़ ये तुमसे कहना हैं..
..खवाबों की रात ये राज़ मुझे तुमसे कहना है..
..होना है तेरा रकीब या संग तेरे मरना हैं..!


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Tuesday, 20 August 2013

तुम मेरे हो जज्बातों के बहके-बहके अल्फाज़..

Photo: तुम मेरे हो जज्बातों के बहके-बहके अल्फाज़..
तुम मेरे हो ख्वाबों की खुशनुमाँ धुँधली सी रात..
तुम मेरे हो मेरे ज़िन्दगी के साथ..

हाँ.. आं..! हर रात मै क्यूँ रहा ठहरा तेरी चेहरों की ओढे ख्वाब..
शबनमीं वो भींनी सी रात तेरे मुखडे पे खिली वो हल्की सी बात..
कमरें से बाहर क्यूँ गुज़ारी मैनें यादों मे तेरी वो अन्धेरी सी सारी रात..
हर बात हर अदा हर पहचान मुझे करने है..

तुझसे ये आज़ ही क्यूं बयां..
तुम मेरे हो दिल को मेरे हो दिल को मेरे यकीं ये क्यूं नहीं..
तुम रोते हो मुझमें सोते हो करवटे जब लेते हो..
मेरी धडकनो को ना जाने क्यूँ..

इकदम ये साफ सुनाई देता है की तुम हाँ तुम मेरे हो..
मेरे जज्बातों के बहके-बहके अल्फाज़..
तुम समझो ना सुनो ना हर्ज़ ही क्या है मुझे सुनने में..
ना हो उस पल के बाद ये बात दिल मे तुम्हारे तो..

हाँ बेशक तुम उतार निकाल फेंको मुझे अपनी रातों से अपनी बातों से..
लेकिन तुम करो तो यकीं तुम मेरे हो..
 तुम मेरे हो जज्बातों के बहके-बहके अल्फाज़..!

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तुम मेरे हो जज्बातों के बहके-बहके अल्फाज़..
तुम मेरे हो ख्वाबों की खुशनुमाँ धुँधली सी रात..
तुम मेरे हो मेरे ज़िन्दगी के साथ..

हाँ.. आं..! हर रात मै क्यूँ रहा ठहरा तेरी चेहरों की ओढे ख्वाब..
शबनमीं वो भींनी सी रात तेरे मुखडे पे खिली वो हल्की सी बात..
कमरें से बाहर क्यूँ गुज़ारी मैनें यादों मे तेरी वो अन्धेरी सी सारी रात..
हर बात हर अदा हर पहचान मुझे करने है..

तुझसे ये आज़ ही क्यूं बयां..
तुम मेरे हो दिल को मेरे हो दिल को मेरे यकीं ये क्यूं नहीं..
तुम रोते हो मुझमें सोते हो करवटे जब लेते हो..
मेरी धडकनो को ना जाने क्यूँ..

इकदम ये साफ सुनाई देता है की तुम हाँ तुम मेरे हो..
मेरे जज्बातों के बहके-बहके अल्फाज़..
तुम समझो ना सुनो ना हर्ज़ ही क्या है मुझे सुनने में..
ना हो उस पल के बाद ये बात दिल मे तुम्हारे तो..

हाँ बेशक तुम उतार निकाल फेंको मुझे अपनी रातों से अपनी बातों से..
लेकिन तुम करो तो यकीं तुम मेरे हो..
तुम मेरे हो जज्बातों के बहके-बहके अल्फाज़..!


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इन्सान है तु..

Photo: इन्सान है तु किस बात पे है रुका..
किस याद में है तु खोया..
परिन्दों के पर काट के अब तु क्यूँ है रोता..?

हुआ अब तुझे क्या क्या मन तेरा अब भी शांत नहीं..?
चित्त तेरा अब भी भरा नहीं क्या देखने तु आया हैं..? 
किस इन्तेज़ार में तु अब रुका हैं..?
क्या हुआ है तुझे कही तुझे अब उससे कुछ और चाहिएं क्या..?

ऐसी खामोशीयों के पीछे का राज़ है मुझे पता..
तु क्या वो तो नही सोच रहा जो हूँ अभी मैं सोच रहा..?
ना कर ऐसा उस रब से तो डर..
चल रही है अब भी सांसे तु ज़रा इक बार गौर तो कर..

रहने दे.. जीने दे.. ये बिन पर के भी जी तुझे दुआ देन्गे..
बिन आपन जीना कैसा होता हैं ये बिछ्डन कैसा होता हैं..?
ऐ वर्मा..! तुझे भी है क्या ये बताना या समझाना..?
शायद तु मार इसे कर ले अपना शौख पूरा..

लेकिन कर यकीं मेरा तु खुद मे खोया जायेगा.. यूँ ही मरा जायेगा.. खुद से रुठा जायेगा..
अभी ना सही लेकिन कभी तो सही..
इन्सान है मुहब्बत में तो आ ही जायेगा कभी..
ना कर ऐसा तु इन्सान हैं और मेरे दोस्त जीव-दया तेरा काम हैं..!

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इन्सान है तु किस बात पे है रुका..
किस याद में है तु खोया..
परिन्दों के पर काट के अब तु क्यूँ है रोता..?

हुआ अब तुझे क्या क्या मन तेरा अब भी शांत नहीं..?
चित्त तेरा अब भी भरा नहीं क्या देखने तु आया हैं..? 
किस इन्तेज़ार में तु अब रुका हैं..?
क्या हुआ है तुझे कही तुझे अब उससे कुछ और चाहिएं क्या..?

ऐसी खामोशीयों के पीछे का राज़ है मुझे पता..
तु क्या वो तो नही सोच रहा जो हूँ अभी मैं सोच रहा..?
ना कर ऐसा उस रब से तो डर..
चल रही है अब भी सांसे तु ज़रा इक बार गौर तो कर..

रहने दे.. जीने दे.. ये बिन पर के भी जी तुझे दुआ देन्गे..
बिन आपन जीना कैसा होता हैं ये बिछ्डन कैसा होता हैं..?
ऐ वर्मा..! तुझे भी है क्या ये बताना या समझाना..?
शायद तु मार इसे कर ले अपना शौख पूरा..

लेकिन कर यकीं मेरा तु खुद मे खोया जायेगा.. यूँ ही मरा जायेगा.. खुद से रुठा जायेगा..
अभी ना सही लेकिन कभी तो सही..
इन्सान है मुहब्बत में तो आ ही जायेगा कभी..
ना कर ऐसा तु इन्सान हैं और मेरे दोस्त जीव-दया तेरा काम हैं..!



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Ye Banda Tera..

Photo: ..है मुझमे क्या वो शख्श जो बन बैठा है तेरा..
..है मुझमे क्या वो बात जो हो रहा है तेरा..
..है मुझमे क्या वो अक्स जो होता जा रहा है तेरा..
..तू बैठा क्यूँ बातें लिए यूँ ही दिल मे सदा..

..बता तू मुझे हां हुआ क्या है तुझे..
..हर घडी बस तू ही क्यूँ रहा मुझे याद..
..क्यूं बसी है मुझमे तेरी वो हर बात..
..मैं खोया क्यूं रहा तुझमे बारिशें भींगी रात..

..कर किस्मतों का भरोसा मै क्यूं रहा यूं गुमशूदां..
..तु बस मिल जाये मुझको करता रहा ये हरपल मै दुआ..
..तु जो है मुझमे खोया.. मेरा होया..
..बन के मेरा सायां रहा मुझसे यूं ही जुडा..

..मैने तुझको है संवारा नज़रों मे उतारा..
..बिन किये मन्ज़िलों का मै भरोसा..
..तु मुझको समझे या ना माने.. कर सकूँगा क्या मै बिन तुम्हारे..
..हाँ... आं..! तु है मेरी हाथों की बन्द लकीरों में..

..जो होता जा रहा है खुद ही मुझसे जुदा..
..क्यूँ टूटते जा रहे है ये दिल के मेरे गहरे जज्बात..
..आए कोइ वो रात जब तु समझे मेरी सारी बात..
..कर लूं उस रात पूरी मै अपनी नामाज़..
..हाँ तु कर कुछ ऐसा मेरे मौला मुझे खुद से अब तू ही बचा..
..दर है आया ये इबादत लेके ये बन्दा तेरा..!

..है मुझमे क्या वो शख्श जो बन बैठा है तेरा..
..है मुझमे क्या वो बात जो हो रहा है तेरा..
..है मुझमे क्या वो अक्स जो होता जा रहा है तेरा..
..तू बैठा क्यूँ बातें लिए यूँ ही दिल मे सदा..

..बता तू मुझे हां हुआ क्या है तुझे..
..हर घडी बस तू ही क्यूँ रहा मुझे याद..
..क्यूं बसी है मुझमे तेरी वो हर बात..
..मैं खोया क्यूं रहा तुझमे बारिशें भींगी रात..

..कर किस्मतों का भरोसा मै क्यूं रहा यूं गुमशूदां..
..तु बस मिल जाये मुझको करता रहा ये हरपल मै दुआ..
..तु जो है मुझमे खोया.. मेरा होया..
..बन के मेरा सायां रहा मुझसे यूं ही जुडा..

..मैने तुझको है संवारा नज़रों मे उतारा..
..बिन किये मन्ज़िलों का मै भरोसा..
..तु मुझको समझे या ना माने.. कर सकूँगा क्या मै बिन तुम्हारे..
..हाँ... आं..! तु है मेरी हाथों की बन्द लकीरों में..

..जो होता जा रहा है खुद ही मुझसे जुदा..
..क्यूँ टूटते जा रहे है ये दिल के मेरे गहरे जज्बात..
..आए कोइ वो रात जब तु समझे मेरी सारी बात..
..कर लूं उस रात पूरी मै अपनी नामाज़..
..हाँ तु कर कुछ ऐसा मेरे मौला मुझे खुद से अब तू ही बचा..
..दर है आया ये इबादत लेके ये बन्दा तेरा..!


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Sunday, 18 August 2013

Hindi Poetry By Nitesh Verma


वो कुछ शर्मा से जाते है..
मुझे अपना कहते-कहते वो कुछ रूक से जाते है..
जुबाँ पे है बसा नाम हिन्दी का..
फिर भी उसे बोलने मे वो कुछ शर्मा से जाते है..
वो खुद से कुछ लड से जाते है..
पता ना खुद के वजूदो से अलग होके..
वो मुझसे क्या जताते है..?
हिन्दी है वजूद मेरी मै उसे क्युँ छोडूं..?
और तुझे छोड मै किसी और से क्युं जुडूं..?
बात सही है वो भी शायद जमाने से कुछ आगे जाना चाहते है..
लेकिन अपनो को छोड वो क्यूं जाना चाहते है..?
बात मेरी शायद उनेह अच्छी ना लगे..
लेकिन खुद से तो वो नज़रें मिला के तो देखें..
अपने गिरे-बाँ मे एक बार झाक के तो देखे..
हिन्दी मेरी है और तुम्हारी भी मेरे दोस्त इसे अपना बना के तो देखें..!



Wednesday, 14 August 2013

रूह ने है मेरी मुझसे ये कहा..


रूह ने है मेरी मुझसे ये कहा..
तु डरता है क्या मुझे खोने से?
तु रहता है क्या इक दबे से कोने मे?
तु खुद को पहले तो सम्भाल ज़रा अन्धेरे मे अपनी परछाइ को सम्भाल ज़रा..
ये क्यूँ मै तुझसे घबरा सा जाता हूँ?
देख तुझे हैराँ मै क्यूँ परेशाँ सा हो जाता हूँ..
मै हूँ तेरे वजूदो मे बसा फिर भी तुझे क्युँ मै हार जाता हूँ?
तुझे अपना करने की खातिर आखिर मै खुद से क्युं लड जाता हूँ?
तु मेरा है ये भी खुद को समझाना होगा..
लगता है फिर से तुझे किसी बहाने गले लगाना होगा..
फिर से तुझे अपना बनाना होगा..!
ऐ ज़िन्दगी! लगता है फिर से तुझे मुझे गवाना होगा..
तभी शायद जा के कोई बात बनेगी..
तुझे अपने रूह से ज़ुदा कर फिर अपने रूह मे समाना होगा..!

Happy Independence Day Guys..!





बात है तिरंगे की लिखना भी आज कुछ ऐसा ही होगा
बात है हमवतन की कहना भी आज कुछ ऐसा ही होगा
जो लगे देख के की हाँ यही है भारत की पहचान
भारत की शान हमारी और तुम्हारी पावन सी जन्म-स्थान
इक ये है हमसे जुडा हमारा प्यारा सा हिन्दोस्तान और पता ना कौन हैं ये जो बाँटे जा रहा है 
मजहब और धर्म के नाम टुकडों-टुकडों में सारा हिन्दोस्तान
है क्या नही यहाँ कौन नही जानता माना बात है इन मासूम जनता की पर कौन नही जानता
है पहरेदारी कर रहे मेरे अमर जवान क्या पता उन्हें घर में हैं ही डेरा बैठें डालें कई बेइमान
कहते है लोग अब तुम बस भी करो वर्मा! पागल हो क्या जो यूँ ही खुलेआम सारी सच्चाई बके जा रहे हो
माना है तुमेह पता और आती भी है सारी अदाएँ बताने को समझाने को सुनाने को
तुम्हें है क्या लेकिन कुछ खबर कुछ सुध या खुद मे ही हो तुम डूबे जा रहे
शायद तुम्हारी बातें कुछ काम की होगी मगर अभी वो वक्त नहीं जो तुम्हारे और तुम्हारे देश के नाम की होगी
है पूरी तरह कही ना कही मुझे अपनो ने ही है नाकारा
हुआँ है क्या खाख आज़ाद देश हमारा जब कोई रख नही सकता कर नहीं सकता यूँ खुलेआम सरेआम अपने हक़ की बात
जब वो जता नही सकता अपना अधिकार खुद के बनाएँ समाजो में उलझती हुई जन्जालो में
चाहो तो कहो इस खोखली सी रिवाजो में दकियानूसी शियाशतो में
रहने दूँ क्या? आज़ ये समझ के मैनें भी कुछ लिख दिया की
आखिर आज़ मै भी तो आज़ाद हूँ
मेरी बातों से शायद कोइ किसी को परेशानी ना हो और हो ये एहसास तो बस काफ़ी है
यूँ हर रोज़ क्यूँ कोइ किसी को बदनाम करता है आखिर उसने ऐसा कर क्या रख्खा है
जो यूँ ही उसकी कटी जुबानो पर बस उसका ही नाम चढ रक्खा हैं
गरीबो का भी हक़ दे दो उन्हें अपने नामो के तो तुमने बहोत बना रक्खा है
कोइ अन्जान नही मेरी जान हरकतों से तुम्हारी
सम्भल जाओ ये तुम्हारे ही हक़ मे सही है
वर्ना वो रात दूर नही जिसके बाद तुम कभी यहाँ की सवेरा ना देखो
माना दिल देखा है तुमने अभी हमारा जान अब भी पूरी बाकी है
है क्या वो चीज़ मेरी जो मै किसी से ले नही सकता
शायद तुम समझ् ही गये होगें की मै कहना क्या चाहता हूँ
लेकिन इशारे की बातें सबकों समझ नही आती
लेकिन आ ही जाती है कभी वो दिन जो सिर्फ़ उसकी ही होती है
जैसे आज़ मेरी आई है कल्ह तेरी भी आ जाऐगी
बस सिर्फ इतना ही कहना था शायद तुम नहीं समझे होगें
बातें मेरी आज़ तुमसे कुछ लम्बी हो गयी है
चलो दिल मे होता है सबके कुछ बात कुछ राज़ वो सीने से बाहर निकल जाये तो ही अच्छा है
चलो सारी बातों के बाद भी इक बात है कहनी कुछ हो ना हो लेकिन
ये “सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा” हो..!
                      वन्दे मातरम                                                                                                                भारत माता की जय..!


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Monday, 12 August 2013

Emraan Ke Dewaane


हैं हम दिवाने इमरान के
बातें सारी हमारी बस तेरे नाम की
तुम यकी करो चलती अब साँसे भी बस तुम्हारे नाम की
दिल्लगी ऐसी है कि मत पूछो.? प्यार कितना है दिल मे कभी उतर के तो देखो
रातें-दिन शाँमे-दुपहरी बस एक ही नाम इमरान जुँबा पे है बसी
तुम कभी हमसे मिल के तो देखो समझ के तो देखो
हमारी वजूदो मे छुप्पा है बस इक ही नाम वो है इमरान
होती है उतराव-चढाव सबकी ज़िन्दगी मे
बिना राज़ कोइ हमराज नही होता
बिना बात कोइ दीवाना नही होता कोइ सयाना नही होता
तुम चाहो तो कर सकते हो पुरजोर विरोध
तोड सकते हो मेरी अल्फाजो को मेरी जज्बातो को
मगर..! मगर मेरे यार दिल से कभी ये नाम मिटाऊँ तो मानूँ
फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है
तब जा के मिली है ये पहचान
बस इस जहाँ मे है इक ही इमरान वो जो तुम भी कभी कहते हो ना?
“One And Only One Emraan Hashmi”
हाँ वही बस वहीं अदा तुम्हारी ये कुछ लिखने पे मुझे मजबूर करती है
ऐ वर्मा! तू भी है इक दीवाना तुझे है पता क्या?
बस इक नाम तेरे पन्नों पे है सज़ा वो है इमरान
मानो ना बोलो ना लिख्खो ना
जब तुम हो दीवाने इमरान के
इन्कार क्यूँ शर्मिन्दगी क्यूँ और ये सन्कोच कैसा?
जिसे तुम हो समझते उससे है मुहब्ब्त तो फिर ये बकवास कैसा
मै तो हार गया तुम्हे समझाते- समझाते अब तुम्हे ये दीवाने बताऐन्गे
कैसी है इनकी मुहब्बत कैसी है इनकी चाहत
अब ये ही बताऐन्गे तुम्हे अपनी जबानी
तुम्हे सुनाऐन्गे आज की रात वो कहानी
कैसे है ये बने इमरान के दीवाने..!

तु रहा अन्धेरो मे यूँ ही कही..


तु रहा अन्धेरो मे यूँ ही कही..
बदनाम सारी रात होती रहीं..
तेरी आशिकी की बातों मे मै यूँ ही उल्झा रहा..
और तुम कहती हो कायनात सारी रात तुमपे बरसती रही!

मुझसे इतनी नफरत ना किया करो..!


यूँ ही कभी मेरा यहाँ आना बन्द हो जयेगा..
मुझसे इतनी नफरत ना किया करो..!
मुहब्बत ना तो कम से कम..
मेरी बातों से तो ना इन्कार किया करो!
माना तुम बडे.. तुम्हरी बातें बडी.. लेकिन इनका क्या..?
ये भी तो है एहसास मेरी इनसे तो ना तुम नजरे फेरा करो..!
माना वक्त़ ने है मुझसे तेरा मुँह फेरा..
मगर यूँ हालातो से हार मुझे मेरे रूह से जुदा ना किया करो!
मैं हार गया तुम्हारे सामने तुम भी तो यही चाहते थे ना..?
जिद थी तुम्हारी यही तो कम से कम ये बतया तो होता
तुम्हारी खातिर मेरी जीत क्या.. मेरी हार क्या..?
तुमने बताया तो होता यूँ इन्कार का मतलब मैं क्या समझू..?
क्या रख्का है आखिर इन बातो मे बहकी हुइ समाजो मे..?
आखिर है वो ऐसी क्या चीज जो मै तुम्हे दे नही सकता..?
मुहब्बत दी है तुम्हे अपनी..
तो और क्या मै तुम्हे अपनी ये ज़िन्दगानी नही दे सकता..?
तुम अपना हक मुझसे जता के तो देखते.. मुझे अपना बना के तो देखते..
मेरी जान मुहब्बत से ही कोइ बात जीती जाती है..
यूँ इन्कार और नफरत से हर बाज़ी हारी ही जाती है
बता दी मैने तुम्हे अपनी वो हर बात.. वो हर राज़..!
जिन्हें तुम परेशाँ यूँ ही अन्धेरो में ढूँढा करते थे..!
मुझे जो समझ आया वो मैने किया.. वो मैने लिख्खा.!
अब तुम्हे इन्कार है इन बातों से भी तो और मै क्या लिख्खु..?
तुम ही बताओ आखिर कहाँ खत्म होती है नफरत तुम्हरी..?
चलो फिर आओ हम शुरुआत वही से करते है..! 
आओ तो मेरे करीब सही तुम हम बात वही करते है..! 
जो तुम समझ सको.. मै समझ सकूँ.. हम समझ सके..
आओ करीब मेरे हम आज रात कोइ ऐसी करते है!
मेरी जान कोइ बात ऐसी करते है..! 

Tuesday, 6 August 2013

आज़ फिर वहीं शाम आई है..


आज़ फिर वहीं शाम आई है..
बारिशों के बीच बनती तुम्हारी तस्वीर नजर आई है..
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आँखें है हल्की-हल्की नम सी मेरी..
लगता हैं आज फिर वही उल्फत..ए..रात मेरे हाथ आई है..!

तोड़ रही हो रिश्ता मुझसे कम से कम यें बताया तो होता..


तोड़ रही हो रिश्ता मुझसे कम से कम यें बताया तो होता..
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मरते वक्त भी ये कमबख्त साँसें मेरी..
पता ना किससे जुड़ने चली गई..!

अक्सर मुहब्बत में दीवानों का ये हाल हों जाता हैं.!

मेरी लाचारी.. मेरी बेबसी.. मेरी हालातों.. को मेरी कमजोरी मत समझ लेना..
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अक्सर मुहब्बत में दीवानों का ये हाल हों जाता हैं.!
Photo: मेरी लाचारी.. मेरी बेबसी.. मेरी हालातों.. को मेरी कमजोरी मत समझ लेना..
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अक्सर मुहब्बत में दीवानों का ये हाल हों जाता हैं.!

Bahot Wafadaar Hote Hai Yee Panne..


Tu Likh De Apne Dil Ki Baat Isi Kisi Panno Ke Bich..
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Bahot Wafadaar Hote Hai Yee Panne..
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Bikhar Jaye To Rooh Me Jaa Milte Hai.. Warna Simat Jaye To Zindagi Me..!
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Tu Chahe To Likh Apni Mehboob Ki Aashiqi Ka Aalam.. Apni Bebasi Ka Daaman.. Ya Phir Guzarti Zindagi Ka Aiena..!
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Ye Bahot Badi Dil Ki Hoti Hai.. Sabki Muskile.. Sabki Dard.. Sabki Khushi Ko.. Sun Ke Samjh Ke..
Bahti Hawaoo Ke Bich Ekdam Shaant..!
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Naa Kisi Ki Batooein Pe Rona Naa Hi Kabhi Kisi Se Kahna..
Uske Dard Se Judna Ik Humdard Hone Ka Ahesaas Dilana..
Uski Khwaboo Ko Bunna.. Uski Yaadoein Me Jeena..
Usi Ka Hoke Jeena..!
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Teri Khushi Me Bina Kahe Bina Puche Usme Shamil Hona..
Hoke Ik Azeeb Rang Ka Bikherna..
Teri Aahat Ki Ahesaas Se Uthna.. Teri Karwato Ke Saath Jagna..
Khud Pe Teri Chalti Ungliyo Se Apni Sangini Ka Ban Jana..
Ik Rishtein Ka Ahesaas Ik Zindagi Ka Ahesaas.. Ik Mehboob Ki Pyas In Sabki Khwaboo Ko Pura Karna Khud Ko Tere Se Jodna..!
Tere Khatir Jag Ko Suna Kahna Use Rulana.. Satna.. Aur Ik Din Ek Mukamal Kitab Ban Ke Teri Dastaan Sunana..!
Tere Piche Do Jaha Ko Karna..
Khusiyo Ki Baraat Ka Judna..!
Sab Tere Khatir Inka Karna..
Par Kabhi Tu Yaki To Kar Ispe..
Pahle Tu Kuch Likh Ispar...!