Monday, 5 August 2013

Ho Rahi Thi Halki Halki Baarishein


हो रही थीं हल्की_हल्की बारिशें..
थमी नजरों को बूँदों पे यकी था..
शामें तुम्हारीं याद में गुजरती रही..
बादलों में हल्की_हल्की सी कमी था..
और चेहरा तेरा घना जुल्फों भरा आँखोँ के मेरे करीब था..
तुम थे मेरे करीब ये मुझें यकीं था..
दिन गुजरते गए.. अफसानें नाम के तेरे होते गए..
मैं खोया_खोया सा रहने लगा.. तुम मेरी मुहब्बत से मुकरते गए..
लफ्जों का तो कोई पता नही.. साँसे नाम तेरी होती गई..!
काश..! काश.. तुम मेरी यादों की जगह मेरे जिंदगी मे होते..
यें बाते मेरी सिर्फ़ तुमसे ही होती..
रहने दो.. शायद..! अब ये तुम्हारें काम की नही..
बातें मेरी समझनें का तेरे बस में नही..
बस ये इतना समझ लो..
आशिक हूँ तुम्हारा इतना कुछ तो होना ही था..!

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