तुम मेरे हो जज्बातों के बहके-बहके अल्फाज़..
तुम मेरे हो ख्वाबों की खुशनुमाँ धुँधली सी रात..
तुम मेरे हो मेरे ज़िन्दगी के साथ..
हाँ.. आं..! हर रात मै क्यूँ रहा ठहरा तेरी चेहरों की ओढे ख्वाब..
शबनमीं वो भींनी सी रात तेरे मुखडे पे खिली वो हल्की सी बात..
कमरें से बाहर क्यूँ गुज़ारी मैनें यादों मे तेरी वो अन्धेरी सी सारी रात..
हर बात हर अदा हर पहचान मुझे करने है..
तुझसे ये आज़ ही क्यूं बयां..
तुम मेरे हो दिल को मेरे हो दिल को मेरे यकीं ये क्यूं नहीं..
तुम रोते हो मुझमें सोते हो करवटे जब लेते हो..
मेरी धडकनो को ना जाने क्यूँ..
इकदम ये साफ सुनाई देता है की तुम हाँ तुम मेरे हो..
मेरे जज्बातों के बहके-बहके अल्फाज़..
तुम समझो ना सुनो ना हर्ज़ ही क्या है मुझे सुनने में..
ना हो उस पल के बाद ये बात दिल मे तुम्हारे तो..
हाँ बेशक तुम उतार निकाल फेंको मुझे अपनी रातों से अपनी बातों से..
लेकिन तुम करो तो यकीं तुम मेरे हो..
तुम मेरे हो जज्बातों के बहके-बहके अल्फाज़..!
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