Monday, 5 August 2013

Alvida


चलो फिर ठीक है.. कल्ह मिलते है..
.
.
देखोँ शाम हो गई.. उसके आने की वक्त..
आँखेँ को अब इजाजत नहीं कुछ और देखने को..
कहीं मुझे देख खोया तुझमें रुठ ना जाए..
और मनाने में जाए मेरी सारी रात बेकार..
हसरतें अपनी तुम मुझे कभी और बताना..
माना ऐ सुबह..! हो तुम मेरी जिंदगी..
तो वो भी मेरी मौत से कम नही..
इक..ना तो इक दिन मेरी हो ही जानी है उसे..!
अलविदा..

No comments:

Post a Comment