Tuesday, 11 March 2014

..इश्क में फिर एक नाम आया..

..एक और ये नाम आया..
..इश्क में मुझे फिर एक नया काम आया..
..दूर से फिर वही चाँदनी नज़र आई..
..रात में फिर वही नाराज़गी नज़र आई..
..मुहब्बत में एक चेहरा नज़र आया..
..बातों में मेरे फिर एक गज़ल नज़र आया..
..इश्क में फिर एक बदनाम चेहरा जुडता नज़र आया..
..ख्वाबों के परिन्दें फिर आसमां पे नज़र आया..
..बातों में मेरी एक दर्द नज़र आया..
..रातों में फिर गमों भरा चेहरा नज़र आया..
..आशिकों के बातों से दूर..
..राह चलते एक गरीब नज़र आया..
..ज़मानें की भीड में एक बच्चा भूखे नज़र आया..
..आँखें बंद कर चलते राहगीर नज़र आया..
..उम्मीद भरा एक चेहरा उदासी से नज़र आया..
..इश्क में फिर एक नाम आया..
..रूह से मेरे जुडते मेरा खुदा नज़र आया..!

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