Saturday, 22 March 2014

..वक्त था..

..वक्त था जो दर्द का मेरा गुजर गया..
..वक्त था जो सर्द का मेरा गुजर गया..
..लम्हा-लम्हा जो बिताया था..
..साथ मैंनें तुम्हारें..
..वक्त था जो फ़रेब का मेरा गुजर गया..
..गम में खुद को भिंगोयें खडा था मैं..
..रास्तें पे अकेले तन्हा पडा था मैं..
..सितम जो मुहब्बत में थे मेरे..
..होंठों पे आके ठहरें थे मेरे..
..सब मेरे हिस्सें से थे जुडे..
..जो कुछ थे बचे वो मेरे खिस्सें से थे जुडे..
..वक्त था जो दर्द का मेरा गुजर गया..
..वक्त था जो सर्द का मेरा गुजर गया..
..तुम लफ़्ज़ सँभालते रह गए..
..वक्त था जो मेरे दर्द सँभालते रह गए..
..एक कारवां गुजर गया..
..और तुम दिल सँभालते रह गए..
..हद कर दी तुमने मुहब्बत में..
..कोई मरता रहा..
..और तुम ज़िन्दगी सँभालते रह गए..
..वक्त था जो दर्द का मेरा गुजर गया..
..वक्त था जो सर्द का मेरा गुजर गया..!


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