Thursday, 6 March 2014

..सयानें है रिश्तें..

..लफ़्ज़ दर्द के मेरे खामोश ही रहने दो..
..सयानें है रिश्तें दर्द को दिल में ही रहने दो..
..समुन्दर सी बात हैं मेरी..
..ये रात को ऐसे ही रहने दो..
..मुहब्बत में है शिकस्त मेरी..
..मेरी जाँ को बस ऐसे ही परेशां रहने दो..
..लफ़्ज़ दर्द के मेरे खामोश ही रहने दो..
..सयानें है रिश्तें दर्द को दिल में ही रहने दो..
..बागों की बातों को रातों की सौगातों को..
..यूं ही राज़ ही रहने दो..
..दिल में मेरी अपनी वहीं पुरानी तस्वीर बसी रहने दो..
..ये ज़ुल्म की रात मेरे हर्श की बात..
..लफ़्ज़ों से अपने दूर ही रहने दो..
..मुहब्बत के साथी मेरे..
..ज़रा मुझे मेरी बातों में बने रहने दो..
..लफ़्ज़ दर्द के मेरे खामोश ही रहने दो..
..सयानें है रिश्तें दर्द को दिल में ही रहने दो..
..बारिशों बीच मुझे तन्हा भींगे रहने दो..
..हवाओं को मेरी ज़ुल्फ़ों से लगे रहने दो..
..दिल के मेरे ज़ज़्बातों को..
..सीने से ही लगे रहने दो..
..फ़रेब की मुहब्बत से मुझे दूर ही रहने दो..
..मेरी बातों को मेरी दिल से लगी रहने दो..
..लफ़्ज़ दर्द के मेरे खामोश ही रहने दो..
..सयानें है रिश्तें दर्द को दिल में ही रहने दो..
..रही कुछ ज़िन्दगी को मेरी..
..थोडा सुकून से बने रहने दो..
..रिश्तों में मेरे थोडा वज़ूद बने रहने दो..
..मुहब्बत में मेरे किए ज़ुर्म को..
..मेरे नाम से ही लगे रहने दो..
..लफ़्ज़ दर्द के मेरे खामोश ही रहने दो..
..सयानें है रिश्तें दर्द को दिल में ही रहने दो..!

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