..हर लफ़्ज़ है शातिर हर ज़ुबां है फरेबी..
..रात को यूं ही बदनाम कर रहे..
..अँधेंरों के खेले शातिर..
..कर रहे है हक की बात..
..रात को देख सबेरा की बात..
..गर अँधेरां ना हो तो ये अपराध ना हो..
..कोई रेप ना हो कोई भ्रष्टाचार ना हो..
..कर रहे है ऐसी सारी बकवास की बात..
..दिल को छुपा कहीं रिश्तों से कर रहे है प्यार..
..क्या है इनकी ज़ुबां की बात..
..हित से ज़्यादा कर रहे है अपनी बात..
..कोई ये मुशायरा नहीं जो इरशाद हो..
..शातिर है गर लफ़्ज़ मेरी तो कोई नयीं बात हो..
..रात में होती ज़ुर्म कम हो अपराध पे हाथ मेरी..
..बातों में गर दम हो तो रातों में खुशनुमां रग हो..
..यहीं है आरज़ू मेरी..
..जुबां पे एक रंग हो जो इश्क के रंग हो..
..जग हित में तुम्हारा साथ हो..
..और शातिर बस तुम्हारा ही नाम हो..!
..रात को यूं ही बदनाम कर रहे..
..अँधेंरों के खेले शातिर..
..कर रहे है हक की बात..
..रात को देख सबेरा की बात..
..गर अँधेरां ना हो तो ये अपराध ना हो..
..कोई रेप ना हो कोई भ्रष्टाचार ना हो..
..कर रहे है ऐसी सारी बकवास की बात..
..दिल को छुपा कहीं रिश्तों से कर रहे है प्यार..
..क्या है इनकी ज़ुबां की बात..
..हित से ज़्यादा कर रहे है अपनी बात..
..कोई ये मुशायरा नहीं जो इरशाद हो..
..शातिर है गर लफ़्ज़ मेरी तो कोई नयीं बात हो..
..रात में होती ज़ुर्म कम हो अपराध पे हाथ मेरी..
..बातों में गर दम हो तो रातों में खुशनुमां रग हो..
..यहीं है आरज़ू मेरी..
..जुबां पे एक रंग हो जो इश्क के रंग हो..
..जग हित में तुम्हारा साथ हो..
..और शातिर बस तुम्हारा ही नाम हो..!
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