Tuesday, 25 March 2014

..गुज़र गए लम्हें..

..गुज़र गए लम्हें जो चाहत के थे मेरे..
..रोया अब इन आँखों से नहीं जाता..
..गर सितम ना हो मुहब्बत में तो..
..फ़िर ज़िन्दगी को मौत से प्यार क्यूं होता..!


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