Saturday, 19 December 2015

कुछ मुश्किल नहीं है

कुछ मुश्किल नहीं है
कुछ भी सीख लेना
आदतन सब आसां है
हो जाये जो तुम्हें इश्क़
फिर तुम देख लेना
देख लेना
हवाओं में पंक्षी बनके
समुंदर की बेबाक
लहरों में ढलके
ओढ लेना चादर तुम
इश्क़ के तासीर की
जो याद आयें
एक तस्वीर तुमको
सर्द रातों के कुहासे में
उबलती हुई तुम्हारी
उस गर्म सी चाय में
एक खामोशी से
ढक लेना मुझे तुम
ख्यालों की चाँद पर
या.. बिन तेरे
बिन तेरे फिर होगा
अधूरा
लिखा हुआ मेरा
सबकुछ ये पूरा-पूरा
देख लेना तुम
देख लेना तुम।

नितेश वर्मा और चाय। 🍵

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