गुम हो गयी हैं तस्वीरों में जिक्र तुम्हारी
अब नहीं है याद मुझे वो शक्ल तुम्हारी।
समुंदर की लहरों पर सब्र का हिसाब है
बेहिसाब फिर क्यूं मुझपे इश्क़ तुम्हारी।
ये तकलीफ़ भी अब मझदार होने को है
मेरी हर नाव पड़ी है यूं कर्ज़ में तुम्हारी।
कर दो एक और एहसान इस जिस्म पे
गले लग जाओ उतर जाये रोग तुम्हारी।
मैं सायों के धुंधलके में ये ढूंढता हूँ वर्मा
कोई ख्याल लग जाये राख की तुम्हारी।
नितेश वर्मा
अब नहीं है याद मुझे वो शक्ल तुम्हारी।
समुंदर की लहरों पर सब्र का हिसाब है
बेहिसाब फिर क्यूं मुझपे इश्क़ तुम्हारी।
ये तकलीफ़ भी अब मझदार होने को है
मेरी हर नाव पड़ी है यूं कर्ज़ में तुम्हारी।
कर दो एक और एहसान इस जिस्म पे
गले लग जाओ उतर जाये रोग तुम्हारी।
मैं सायों के धुंधलके में ये ढूंढता हूँ वर्मा
कोई ख्याल लग जाये राख की तुम्हारी।
नितेश वर्मा
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