मुझको तो मोहलत कभी मेरे वक़्त ने दी ही नहीं
मेरी दर्दों को जो कम करे वो मरहम हैं ही नहीं।
बस तकलीफ़ों के दौर से गुजर रहा हूँ मैं वर्मा
कुछ कहें कुछ सुने साथ वो हमदम हैं ही नहीं।
नितेश वर्मा
मेरी दर्दों को जो कम करे वो मरहम हैं ही नहीं।
बस तकलीफ़ों के दौर से गुजर रहा हूँ मैं वर्मा
कुछ कहें कुछ सुने साथ वो हमदम हैं ही नहीं।
नितेश वर्मा
No comments:
Post a Comment