Wednesday, 9 December 2015

हालांकि ये बयानबाजी होगी

हालांकि ये बयानबाजी होगी
तुम्हारे सामने
के कभी
तुम्हारी तस्वीर तुम्हारे बाद
याद दिलाऐगी तुम्हारी
जब तुम ना होगे सामने
मगर होगे मौजूद कहीं
इन हवाओं, इन फजाओ में
ढूंढ लाऊँगा तुम्हें फिर से
कैद कर लूंगा
उस गिरफ्त में तुम्हें
जहाँ से तुम मेरे
जिस्म में ढल जाओगी
तुम सिमट जाओगी
मेरी बाहों की जरूरतों में
मैं भूल जाऊँगा खुद को
तुममें रखकर कहीं
की
खुद को रखा था कहीं।

नितेश वर्मा

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