Nitesh Verma Poetry
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Thursday, 3 December 2015
फिर कभी
फिर कभी.. फिर कभी.. कहके मैनें हर वो बात टाल दी
मुहब्बत ये अक्सर मेरी बहानों में सिमट के रह गयी।
नितेश वर्मा और फिर कभी।
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