Thursday, 3 December 2015

यूं ही एक ख्याल सा ..

फिर से उसके बारे में लिखकर पूरा मिटा दिया, एक बार फिर से। वो कबकी चली गयी.. और मैं नजानें क्यूं ठहरा हूँ उसकी यादों में। कुछ बातें समझ से परे होती हैं.. दिल अगर ये प्यार करना ना सिखाता तो हर दफा मैं परेशान रहता बिलकुल इस दफे की तरह। अब तुम्हारे लिये कोई कसक नहीं.. आज कोई जवाब नहीं.. और ना ही किसी उम्मीद में तुम हो, ..
बस जब कभी कोई ठंडी सी हवा चेहरे से होकर गुजर जाती हैं तुम बेवजह याद आ जाती हो.. खुलीं जुल्फों के संग मुस्कुराते हुये।

नितेश वर्मा

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