Wednesday, 16 March 2016

जभ्भी कभी मुस्कुराइये आप

जभ्भी कभी मुस्कुराइये आप
किसी अंजामात आइये आप।

दिल भी ये तोड़ दीजिये चाहें
मुँह ना मुझसे मोड़िए आप।

घुटन तो नहीं होगी न जीने में
चंद साँसें रोक लिजीए आप।

क्या मज़ाक है ज़िन्दगी मेरी
जाँ अब तो ये छोड़िये आप।

गर्मी में पसीना होगा ही वर्मा
चाहे लाख सर फोड़िये आप।

नितेश वर्मा और आप।

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