उस शख़्सियत का क्या कहिये जनाब
मोहब्बत की है तो अब सहिये जनाब।
उससे वफ़ादारी ही करनी है आपको
तो हमसे कुछ दूर आप रहिये जनाब।
हैंरा है रंगत सारी मिट्टी में मिल गई है
स्याह मिट्टी रंग अब तो बहिये जनाब।
ताउम्र कमरे और मकाँ में उलझे रहे
अब तो किसी घर आप होइये जनाब।
ना पूछिये किस कदर परेशान है वर्मा
दिल देकर यूं एक बार खोइये जनाब।
नितेश वर्मा और जनाब।
मोहब्बत की है तो अब सहिये जनाब।
उससे वफ़ादारी ही करनी है आपको
तो हमसे कुछ दूर आप रहिये जनाब।
हैंरा है रंगत सारी मिट्टी में मिल गई है
स्याह मिट्टी रंग अब तो बहिये जनाब।
ताउम्र कमरे और मकाँ में उलझे रहे
अब तो किसी घर आप होइये जनाब।
ना पूछिये किस कदर परेशान है वर्मा
दिल देकर यूं एक बार खोइये जनाब।
नितेश वर्मा और जनाब।
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