यूं खून मुझमें भी जवानी लिये बहोत है
असरदार नहीं है गुमानी लिये बहोत है।
कहने को तो यूं कोई बात नहीं है मुझमें
मगर ख्याल ये तेरा मानी लिये बहोत है।
सुना दूं हर किसी के जिक्र पे तुम्हें मैं भी
मगर कुछ बात भी खामोशी लिये बहोत है।
ये इतिहास गवाही देगी किताबें झांककर
किताबों में किताबें मनाही लिये बहोत है।
अब तो नजरों से गिरकर ना उठिए वर्मा
शर्म भी आपकी यूं बेमानी लिये बहोत है।
नितेश वर्मा
असरदार नहीं है गुमानी लिये बहोत है।
कहने को तो यूं कोई बात नहीं है मुझमें
मगर ख्याल ये तेरा मानी लिये बहोत है।
सुना दूं हर किसी के जिक्र पे तुम्हें मैं भी
मगर कुछ बात भी खामोशी लिये बहोत है।
ये इतिहास गवाही देगी किताबें झांककर
किताबों में किताबें मनाही लिये बहोत है।
अब तो नजरों से गिरकर ना उठिए वर्मा
शर्म भी आपकी यूं बेमानी लिये बहोत है।
नितेश वर्मा
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