इस उधार की ज़िन्दगी में
उदासी सूद की तरह है
मुहब्बत ग़ायब है
तन्हाई
बस इक वज़ूद की तरह है
दरीचों के दरम्यान दो दिल
इस कदर उल्झे है
किसी गणित की किताब में
जैसे मुहब्बतों के अल्फ़ाज।
नितेश वर्मा और अल्फ़ाज।
उदासी सूद की तरह है
मुहब्बत ग़ायब है
तन्हाई
बस इक वज़ूद की तरह है
दरीचों के दरम्यान दो दिल
इस कदर उल्झे है
किसी गणित की किताब में
जैसे मुहब्बतों के अल्फ़ाज।
नितेश वर्मा और अल्फ़ाज।
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