Saturday, 5 March 2016

मुझे वहीं रूक जाना था

मुझे वहीं रूक जाना था
उसकी निगाहों में
कुछ पल ठहरना था
उसकी निगाहों में
माँगनी थी कुछ ख्वाहिशातें
अर्जी भरनी थी एक रात की
पुकारना था उसे ज़रा जोर से
मग़र मैं लौट आया
ये सोचकर के.. के अकसर
अब तो.. यादों में
इसी गली से गुजरना है।

नितेश वर्मा

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