हमसायों से ही है अब परेशान बहोत
कल तलक थी इनमें मेरी जान बहोत।
परिंदे को गुमान है ऊँची दरख़्तों पर
आज लेके आये है वो मेहमान बहोत।
यूं अँधेरे से मकाँ में मयस्सर है ख़ुदा
रोशनी में आके मैं हुआ हैरान बहोत।
मंजूरी महंगी पड़ गयीं इस कदर के
कोतवाली में चोर हुए पहचान बहोत।
ग़र्द दिल की जिस्म पे उतर गई वर्मा
निकल आये अपने ही शैतान बहोत।
नितेश वर्मा और बहोत।
कल तलक थी इनमें मेरी जान बहोत।
परिंदे को गुमान है ऊँची दरख़्तों पर
आज लेके आये है वो मेहमान बहोत।
यूं अँधेरे से मकाँ में मयस्सर है ख़ुदा
रोशनी में आके मैं हुआ हैरान बहोत।
मंजूरी महंगी पड़ गयीं इस कदर के
कोतवाली में चोर हुए पहचान बहोत।
ग़र्द दिल की जिस्म पे उतर गई वर्मा
निकल आये अपने ही शैतान बहोत।
नितेश वर्मा और बहोत।
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