किसी की याद में जब आप कहानी लिखिये
मुहब्बत भूल जाइये केवल बेईमानी लिखिये।
पत्थर उठाकर अपने घर पे ही चला दीजिये
फिर बिखरें हुए शीशे पे हिन्दुस्तानी लिखिये।
अज़ब माहौल से गुजर रहें हैं जुबाँ बेहूदी है
अब मेरी मानिये दुश्मनी खानदानी लिखिये।
दो वक़्त की रोटी नसीब नहीं नसीबदारों को
अच्छे दिनों के बारे में आप भी जानी लिखिये।
साहिबे-मसनद है आपके शहर में हम वर्मा
ग़ज़ल कोई भी आप यूं ज़ुबानदानी लिखिये।
नितेश वर्मा
मुहब्बत भूल जाइये केवल बेईमानी लिखिये।
पत्थर उठाकर अपने घर पे ही चला दीजिये
फिर बिखरें हुए शीशे पे हिन्दुस्तानी लिखिये।
अज़ब माहौल से गुजर रहें हैं जुबाँ बेहूदी है
अब मेरी मानिये दुश्मनी खानदानी लिखिये।
दो वक़्त की रोटी नसीब नहीं नसीबदारों को
अच्छे दिनों के बारे में आप भी जानी लिखिये।
साहिबे-मसनद है आपके शहर में हम वर्मा
ग़ज़ल कोई भी आप यूं ज़ुबानदानी लिखिये।
नितेश वर्मा
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