इस तरह तमाम बोझ मूसल्लत हैं जिस्म पर हमारे
पागल होकर भटकते हैं घर है तिलिस्म पर हमारे।
हमारी जात तो हमसे ही शिकायतें करती रहती हैं
सवाल भी उठे हैं तो किस-किस किस्म पर हमारे।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
पागल होकर भटकते हैं घर है तिलिस्म पर हमारे।
हमारी जात तो हमसे ही शिकायतें करती रहती हैं
सवाल भी उठे हैं तो किस-किस किस्म पर हमारे।
नितेश वर्मा
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