इतनी तड़पा के मुझको यारब मिली वो
के कोई हरकत नहीं हुई जब मिली वो।
खुशियाँ चेहरे पर फ़ैल ना सकी तमाम
हैरत आँखों में दफ़्न हुई तब मिली वो।
मैं मयख़ाने में मसरूफ़ था दिनों-दिन
निकलते ही सबने पूछा कब मिली वो।
हालांकि अभी टूटना मुनासिब नहीं है
जुल्फों की हयात ला-नसब मिली वो।
नज़रें मिलने को उतारूँ हैं मेरी वर्मा
किसी सर्दियों की रात अब मिली वो।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
के कोई हरकत नहीं हुई जब मिली वो।
खुशियाँ चेहरे पर फ़ैल ना सकी तमाम
हैरत आँखों में दफ़्न हुई तब मिली वो।
मैं मयख़ाने में मसरूफ़ था दिनों-दिन
निकलते ही सबने पूछा कब मिली वो।
हालांकि अभी टूटना मुनासिब नहीं है
जुल्फों की हयात ला-नसब मिली वो।
नज़रें मिलने को उतारूँ हैं मेरी वर्मा
किसी सर्दियों की रात अब मिली वो।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
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