Monday, 19 December 2016

निकलकर इस धूप से छांव में आ जाइये

निकलकर इस धूप से छांव में आ जाइये
परेशान ना होइये, मेरे दांव में आ जाइये।

है सवाल जो मध्ये-नज़र मुहब्बत में मेरी
पायल सी खनकती है पांव में आ जाइये।

सुकून जब दिल को आये ना पल भर तो
यकीन करिए और ये गांव में आ जाइये।

नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry

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