जेल गए हो कभी तुम?
-क्या?
क्या.. क्या? सीधा सा सवाल है।
-काफ़ी वाहियात सा सवाल है.. सुधर जाओ! अच्छे लड़के जेल नहीं जाते।
हा हा हा!
-इसमें हँसने वाली कौन सी बात थी?
अच्छा हटाओ ये सुनो.. जेल गए हो तुम कभी?
-फ़िर वही सवाल? नहीं गया यार!
तो सुनो! मर्द एक बार जेल नहीं गया तो फ़िर क्या ख़ाक काम किया।
-अब मैं तुम्हारे लिए जेल भी जाऊँ?
जाऊँ का क्या मतलब है.. जाना ही पड़ेगा।
-अरे यार! मैंने ये तुमसे मुहब्बत ही क्यूं कर ली?
वो सब नहीं पता मुझे। तुम्हें तो जेल जाना ही पड़ेगा मेरे लिए.. कमसेकम एक बार तो ज़रूर।
-यार! तुम्हारा वश चले तो.. मुझे तुम जहन्नुम भी भेज दो। तुम्हें नहीं लगता तुम मुझे हर बार इस इश्क़ का हवाला देकर तंग किया करती हो?
अग़र इश्क़ में वादे शर्त के मयार पर खड़ी हो ना तो समझो की इश्क़ डूब गया तुम्हारा।
-बेवकूफ़ मत बनाओ मुझे! मैं सब समझता हूँ.. चला जाऊँगा जेल तुम्हारे लिए। मगर हाँ.. सिर्फ़ एक बार ही जाऊँगा.. समझी तुम।
हाँ! समझ गई। अब सुनो..
-सुनाओ.. अब क्या सुनाना रह गया?
आज रात तुम मुझे लेकर भाग जाओ.. दिखा दो सबको कि तुम एक असली मर्द के बच्चे हो।
-इसमें दिखाना क्या है, मैं हूँ एक मर्द का बच्चा।
फ़िर साबित करो इसे आज की रात।
-मरवाओगी तुम मुझे।
डर गए क्या?
-यार सीधे-सीधे थल्ले लगने वाली बात करती हो तुम।
अग़र थल्ले नहीं लगने ना तो इश्क़ मत किया करो। मेरा हाथ झटकों और फ़िर निकल जाओ मुझसे ख़ुदको छुड़ाकर।
-यार! तुम कुछ अज़ीब नहीं हो?
बस तुम्हें ही लगता है.. और जब तुम ये सीने पर अपनी हाथों को बाँध कर मुझको देखते हो ना तो एक बार ख़याल आता है तुमसे कोई शर्त रखूँ ही ना.. हाय! यार.. बहुत प्यारे हो तुम।
-फ़िर अपनी दिल की सुना करो Darling!
सुन लूंगी.. एक रात हवालात में काटो तो सही पहले।
-तुम बहुत ज़ालिम हो।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry #YuHiEkKhyaalSa
-क्या?
क्या.. क्या? सीधा सा सवाल है।
-काफ़ी वाहियात सा सवाल है.. सुधर जाओ! अच्छे लड़के जेल नहीं जाते।
हा हा हा!
-इसमें हँसने वाली कौन सी बात थी?
अच्छा हटाओ ये सुनो.. जेल गए हो तुम कभी?
-फ़िर वही सवाल? नहीं गया यार!
तो सुनो! मर्द एक बार जेल नहीं गया तो फ़िर क्या ख़ाक काम किया।
-अब मैं तुम्हारे लिए जेल भी जाऊँ?
जाऊँ का क्या मतलब है.. जाना ही पड़ेगा।
-अरे यार! मैंने ये तुमसे मुहब्बत ही क्यूं कर ली?
वो सब नहीं पता मुझे। तुम्हें तो जेल जाना ही पड़ेगा मेरे लिए.. कमसेकम एक बार तो ज़रूर।
-यार! तुम्हारा वश चले तो.. मुझे तुम जहन्नुम भी भेज दो। तुम्हें नहीं लगता तुम मुझे हर बार इस इश्क़ का हवाला देकर तंग किया करती हो?
अग़र इश्क़ में वादे शर्त के मयार पर खड़ी हो ना तो समझो की इश्क़ डूब गया तुम्हारा।
-बेवकूफ़ मत बनाओ मुझे! मैं सब समझता हूँ.. चला जाऊँगा जेल तुम्हारे लिए। मगर हाँ.. सिर्फ़ एक बार ही जाऊँगा.. समझी तुम।
हाँ! समझ गई। अब सुनो..
-सुनाओ.. अब क्या सुनाना रह गया?
आज रात तुम मुझे लेकर भाग जाओ.. दिखा दो सबको कि तुम एक असली मर्द के बच्चे हो।
-इसमें दिखाना क्या है, मैं हूँ एक मर्द का बच्चा।
फ़िर साबित करो इसे आज की रात।
-मरवाओगी तुम मुझे।
डर गए क्या?
-यार सीधे-सीधे थल्ले लगने वाली बात करती हो तुम।
अग़र थल्ले नहीं लगने ना तो इश्क़ मत किया करो। मेरा हाथ झटकों और फ़िर निकल जाओ मुझसे ख़ुदको छुड़ाकर।
-यार! तुम कुछ अज़ीब नहीं हो?
बस तुम्हें ही लगता है.. और जब तुम ये सीने पर अपनी हाथों को बाँध कर मुझको देखते हो ना तो एक बार ख़याल आता है तुमसे कोई शर्त रखूँ ही ना.. हाय! यार.. बहुत प्यारे हो तुम।
-फ़िर अपनी दिल की सुना करो Darling!
सुन लूंगी.. एक रात हवालात में काटो तो सही पहले।
-तुम बहुत ज़ालिम हो।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry #YuHiEkKhyaalSa
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