उसनें बस इतना ही कहा था
तुमसे मुहब्बत कभी कहाँ था
मैं इक परिंदा आसमानों का
मुझे वो सुकून कभी कहाँ था
मिट्टी मुझसे लग सोना हुआ
पारस में अकड कभी कहाँ था
वो यूं मुझे बदनाम करता रहा
ज़मानें में ये दम कभी कहाँ था
नितेश वर्मा
तुमसे मुहब्बत कभी कहाँ था
मैं इक परिंदा आसमानों का
मुझे वो सुकून कभी कहाँ था
मिट्टी मुझसे लग सोना हुआ
पारस में अकड कभी कहाँ था
वो यूं मुझे बदनाम करता रहा
ज़मानें में ये दम कभी कहाँ था
नितेश वर्मा
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