Friday, 22 May 2015

वो तकलीफें छुपा के सब बोल लेता हैं

वो तकलीफें छुपा के सब बोल लेता हैं
वो मेरे जैसा हैं इंसा दिल खोल लेता हैं

अखबारी वो शख्स कितना बिखरा हैं
मग़र झूठ हो जहा जुबां खोल लेता हैं

परिन्दा हर वक्त आसमां का हुआ हैं
फिरभी मकां को ले कुछ बोल लेता हैं

हैं वो भी यूं तो हादसे का शिकार वर्मा
रखता हैं कद जहा जमीं तौल लेता हैं

नितेश वर्मा

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