वो तकलीफें छुपा के सब बोल लेता हैं
वो मेरे जैसा हैं इंसा दिल खोल लेता हैं
अखबारी वो शख्स कितना बिखरा हैं
मग़र झूठ हो जहा जुबां खोल लेता हैं
परिन्दा हर वक्त आसमां का हुआ हैं
फिरभी मकां को ले कुछ बोल लेता हैं
हैं वो भी यूं तो हादसे का शिकार वर्मा
रखता हैं कद जहा जमीं तौल लेता हैं
नितेश वर्मा
वो मेरे जैसा हैं इंसा दिल खोल लेता हैं
अखबारी वो शख्स कितना बिखरा हैं
मग़र झूठ हो जहा जुबां खोल लेता हैं
परिन्दा हर वक्त आसमां का हुआ हैं
फिरभी मकां को ले कुछ बोल लेता हैं
हैं वो भी यूं तो हादसे का शिकार वर्मा
रखता हैं कद जहा जमीं तौल लेता हैं
नितेश वर्मा
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