जो पढ रहा हैं और और पढनें को तैयार हैं
वो इंसा हैं जो कुछ और करनें को तैयार हैं
किसे नही करना होता इनका हिसाबी-किताब
ज़िन्दगी हैं ये यहाँ सब लडने को तैयार हैं
थक-हार के बैठना कितना आसान होता हैं
मग़र बात हैं जो दो कदम चलनें को तैयार हैं
धडकनों की आहट से भी घबरा जाता हैं
किसान जो बारिश से लडनें को तैयार है
नितेश वर्मा
वो इंसा हैं जो कुछ और करनें को तैयार हैं
किसे नही करना होता इनका हिसाबी-किताब
ज़िन्दगी हैं ये यहाँ सब लडने को तैयार हैं
थक-हार के बैठना कितना आसान होता हैं
मग़र बात हैं जो दो कदम चलनें को तैयार हैं
धडकनों की आहट से भी घबरा जाता हैं
किसान जो बारिश से लडनें को तैयार है
नितेश वर्मा
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