इस आगोश में हैं के दो दिल जल जाऐंगे
मत पूछ ये के जानें कितनें याद आऐंगे
हौलें से हाथों को उसनें यूं चूम लिया था
जानें कब तलक तक जान से यूंही जाऐंगे
परदा कर के बैठनें को हैं वो हमनशीं तो
और जानें इल्जाम कब तक हमसे करवाऐंगे
लब पर आकर लफ्ज़ जो रुक जातें हैं वर्मा
यहीं हर-वक्त दिली बोझ हमपे रह जाऐंगे
नितेश वर्मा
मत पूछ ये के जानें कितनें याद आऐंगे
हौलें से हाथों को उसनें यूं चूम लिया था
जानें कब तलक तक जान से यूंही जाऐंगे
परदा कर के बैठनें को हैं वो हमनशीं तो
और जानें इल्जाम कब तक हमसे करवाऐंगे
लब पर आकर लफ्ज़ जो रुक जातें हैं वर्मा
यहीं हर-वक्त दिली बोझ हमपे रह जाऐंगे
नितेश वर्मा
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