Wednesday, 13 May 2015

हालातें बदली हैं, ज़िन्दगी नहीं

हालातें बदली हैं, ज़िन्दगी नहीं। शिकायतें हैं कोई दुश्मनी नहीं, बस समझाया नहीं जा सकता .. के उसे भूलाया नहीं जा सकता। बातें आज बडी-बडी सी हैं, ग़म हैं, रूसवां हैं दिल और भी बहोत कुछ लफ्जों में सब पिरोयां नहीं जा सकता।
बस महसूस होती हैं, आँखें रोती हैं, जुबाँ तरसती हैं इक हल्की सी थकान हैं आज। ज़िन्दगी कितनी मुश्किल होती जा रही हैं हर रोज़। बस इतना ही आज काफी हैं, कल फिर आऊँगा।
शुभ रात्री

नितेश वर्मा

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