Wednesday, 13 May 2015

आज याद माँ की आयीं तो आँखें भर गई

कौन आ के पढ जाता हैं खामोशियाँ मेरी
आज याद माँ की आयीं तो आँखें भर गई

सुनता नहीं है ये दिल कभी मेरी बेताबियाँ
माँ ने ये देखा तो मेरी जुल्फें सुलझाने लगी

नितेश वर्मा और माँ


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