Monday, 4 May 2015

मुझको अपना तो कर लो

अब बस खामोशियाँ बोलती हैं वो नहीं.. तन्हाईयाँ ही मेरे हिस्से हैं यहीं तो मेरे एक किस्सें हैं.. किसको ये बताना हैं और किससे छुपाना.. किसे दिखाना हैं और किससे एतराज़ जताना हैं..

दिल का हाल यहीं हैं.. अब क्या समझना और क्या समझाना हैं.. बस यूहीं ये ज़िन्दगी गुजर रही हैं.. और गुजर रहा हूँ मैं..

बस इतना तो समझ लो
मुझको अपना तो कर लो

नितेश वर्मा

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